Voltage Regulator क्या हैं और इसके प्रकार

हेलो दोस्तो, आज हम इस आर्टिकल में voltage regulator की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं जो आप आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।

Voltage Regulator क्या हैं

voltage regulator एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हैं जो वोल्टेज को एक निश्चित मान के पास बनाकर रखती है।

यह प्रत्यावर्ती वोल्टेज के कंट्रोल के लिये बनायी जा सकती है या दिष्ट वोल्टता के लिये। इसमें विद्युतयांत्रिक युक्तियाँ (जैसे मोटर, रिले, जनरेटर आदि) लगी होतीं हैं।

या ये आधुनिक अर्धचालक डिवाइस (डायोड, ट्रांजिस्टर, मॉसफेट, IGBT आदि) एवं कुछ पैसिव डिवाइस (रेसिस्टर, कैपेसिटर आदि) से मिल कर बनाई जा सकती है।

+12V DC निर्गत करने वाली 3-पिन वाला वोल्टेज रेगुलेटर (7812) इसके द्वारा नियंत्रित वोल्टेज मिलने से जो डिवाइस चलती हैं वे खराब नहीं होतीं एवं अपना काम भी नियत तरीके से करती हैं।

उदाहरण के लिये जिन गाँवों में सप्लाई वोल्टेज बहुत घटता-बढ़ता रहता है वहाँ वोल्टेज स्टेबलाइजर का उपयोग किया जाता है ये बिजली से चलने वाली वस्तुओं की वोल्टेज के उतार चढ़ाव से सुरक्षित रखता हैं।

इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेनेट में वोल्टेज रेगुलेटर को सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है वोल्टेज रेगुलेटर हमे किसी भी वैल्यू के इनपुट वोल्टेज के लिए एक predictable और फिक्स आउटपुट वोल्टेज प्रदान करते हैं।

कुछ वोल्टेज को हम एक साधारण से जेनर डायोड  से भी कंट्रोल कर सकते हैं जबकि कुछ application को linear या switching regulators की advanced topology की भी ज़रुरत होती है।

प्रत्येक वोल्टेज रेगुलेटर का एक primary goal और secondary goal होता है।

Primary : किसी भी सर्किट में इनपुट वोल्टेज की स्थिति के variation के response में  एक steady आउटपुट उत्पन्न करना, ये इसका primary goal है। अगर आपका supply 9V देता है लेकिन अगर आपको सिर्फ 5V चाहिए तो आप उसे वोल्टेज  रेगुलेटर की मदद से उसे step down करेंगे।

Secondary : वोल्टेज रेगुलेटर आपके इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को किसी भी potential damage से शील्ड और प्रोटेक्ट करता है।

Voltage Regulator के प्रकार

हम जब भी voltage regulator को circuit में लगाते हैं तो उसे दो प्रकार से लगा सकते हैं।

  1. Linear voltage regulators
  2. Switching voltage regulators

1. Linear Voltage Regulators

लीनियर वोल्टेज रेगुलेटर सर्किट में वोल्टेज डिवाइडर के रूप में कार्य करता है। यह ओमिक क्षेत्र में FET को काम देता है और इस kind के Regulator low Power या Low Cost Application को design करते समय इसे उपयोग करते हैं। लोड के संबंध में वोल्टेज रेगुलेटर के रेजिस्टेंस को बदलकर स्थिर आउटपुट बनाए रखता है।

Linear Regulator के साथ हम Power Transistor (BJT या MOSFET) के advantage ले सकते हैं जो variable resistor का role play करता है, इनपुट सप्लाई बदलने के अनुसार आउटपुट वोल्टेज को कम करने का काम करता हैं।

हमारे सर्किट में किसी भी प्रकार का लोड हो तो लीनियर वोल्टेज रेगुलेटर हमेशा constant steady आउटपुट ही provide करता हैं।

Linear Voltage Regulator के Advantages :

Low Output Ripple Voltage देता हैं।

Load या line changes के लिए समय से fast response देता हैं।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस और शोर भी कम होता हैं।

Linear voltage regulator के disadvantage

Efficiency बहुत कम होती है।

Large space की ज़रुरत होती है 

heat sink की ज़रुरत है।

इनपुट के ऊपर वोल्टेज अधिक के नहीं होती है।

Linear voltage regulator के उपयोग

जहाँ power की requirements कम होती हैं। वहाँ लीनियर वोल्टेज रेगुलेटर उपयोग होता हैं।

जैसा की ये resistor की तरह behave करता है जो वोल्टेज stabilize करता है और ये tons of energy waste करता है और ये resisted करंट को heat में बदल देता है। इसलिए ये वोल्टेज रेगुलेटर वहां उपयोग होता हैं।

Linear voltage regulator दो प्रकार के होते हैं।

  1. Series Voltage Regulator
  2. Shunt Voltage Regulator

1. Series Voltage Regulator 

सीरीज वोल्टेज रेगुलेटर में वेरिएबल एलिमेंट का उपयोग होता है। जो load के series में रखा जाता है।

उस सीरीज एलिमेंट के रेजिस्टेंस को बदलने पर उसके across वोल्टेज को हम बदल सकते है। और load के पास जो वोल्टेज होता हैं वो हमेशा constant रहता हैं।

जो भी करंट draw होता है load उसे effectively इस्तेमाल करता है और यही सीरीज वोल्टेज रेगुलेटर का सबसे बड़ा लाभ है।

यहाँ तक की जब load को करंट की कोई ज़रुरत नहीं होती तो सीरीज वोल्टेज रेगुलेटर कोई भी करंट draw नहीं करता हैं।

इसलिए सीरीज वोल्टेज रेगुलेटर शंट वोल्टेज रेगुलेटर से ज्यादा efficient होता हैं।

ये conventional रेगुलेटर के पास जेनर डायोड controlled ट्रांजिस्टर है जो load के साथ series में है। 

यहाँ रेगुलेटर में वेरिएबल एलिमेंट ट्रांजिस्टर है। वेरिएबल इनपुट वोल्टेज के आधार पर ramping रेजिस्टेंस up या down होता है ताकि steady और consistent आउटपुट वोल्टेज मिले।

2. Shunt Voltage Regulator

सप्लाई वोल्टेज को वेरिएबल रेजिस्टेंस के through ground का path create करके शंट वोल्टेज रेगुलेटर अपना काम करता है।

शंट रेगुलेट के माध्यम से लोड से जमीन में बेकार ढंग से प्रवाहित होता है।

शंट रेगुलेटर के माध्यम से करंट को लोड से divert करके ग्राउंड में uselessly flow करा दिया जाता है।

और इसलिए वो सीरीज रेगुलेटर से कम efficient है। लेकिन ये बहुत simple होता है जिसमे सिर्फ वोल्टेज reference डायोड होता है और ये बहुत ही कम powered सर्किट में इस्तेमाल होता है 

जहाँ करंट का waste बहुत छोटी सी बात है। ये form वोल्टेज reference सर्किट के common है। एक शंट रेगुलेटर सिर्फ करंट को सिंक कर सकता है।

Shunt Regulators के अनुप्रयोग

  1. कम आउटपुट वोल्टेज स्विचिंग पावर सप्लाई
  2. करंट सोर्स और सिंक सर्किट LM
  3. Error एम्पलीफायर 
  4. एडजस्टेबल वोल्टेज या करंट लीनियर और स्विचिंग पावर सप्लाई
  5. वोल्टेज निगरानी
  6. एनालॉग और डिजिटल सर्किट जिसे exact Reference चाहिए 
  7. ये शंट वोल्टेज रेगुलेटर series में wired नहीं है बल्कि अतिरिक्त करंट  को ग्राउंड में भेज देता है।

लाभ

  1. विद्युतचुम्बकीय interference कम होता है। 
  2. स्विचिंग रेगुलेटर से शोर भी कम होता है।
  3. लाइन या लोड वोल्टेज के परिवर्तन को ये शीघ्र प्रतिक्रिया समय देता है।
  4. स्थिर और लगातार कम आउटपुट वोल्टेज देता है जो कम पावर के  अनुप्रयोगों के लिए ideal है।

नुकसान

  • ये एनर्जी efficient बिलकुल भी नही होता है अगर इनपुट और आउटपुट वोल्टेज का अंतर ज्यादा है।
  • हमेशा ही इसे heatsink की ज़रुरत पड़ती रहती है ताकि ये अपनी व्यर्थ ऊर्जा को नष्ट कर सके।
  • किसी भी आउटपुट वोल्टेज इनपुट वोल्टेज से उच्च नहीं मिल सकता है।

2. Switching Voltage Regulators

हमारे इनपुट और आउटपुट वोल्टेज में अंतर है।

लीनियर वोल्टेज रेगुलेटर्स की तुलना स्विचिंग रेगुलेटर्स की पावर कन्वर्जन दक्षता से अधिक होती है।

ये दक्षता की गुणवत्ता परिपथ को जोड़ते हैं और जटिल बनाते हैं।

Linear voltage regulators के तुलना में switching regulators का power conversion efficiency ज्यादा होता है।

लेकिन ये efficiency की quality जोड़ने के कारण सर्किट को और complex बना देता है।

जब आप switching regulator को देखेंगे तो उसकी internal सर्किट अलग दिखेगा यह controlled switch का इस्तेमाल कर voltage regulate करता है इसलिए यह switching regulator कहलाता है।

स्विचिंग वोल्टेज रेगुलेटर, आउटपुट को बदलने के लिए रेगुलेटर बहुत तेजी से चालू और बंद होता है। ये काम करने के लिए Regulator को Control Oscillator की ज़रुरत होती है और Storage Components को चार्ज भी करता है।

स्विचिंग रेगुलेटर ने अपना चार्ज लेवल ट्रांजिस्टर की सहायता से बनाए रखा है। और ये ट्रांजिस्टर तभी Turn on होता है जब Storage को और ज्यादा energy की आवश्कता होती हैं और ये turn ऑफ हो जाता है। 

जब desired आउटपुट वोल्टेज सर्किट को achieve हो जाता है। यह एक बहुत अच्छा energy efficient विधि है जो आउटपुट वोल्टेज को manage करता है।

यह ना सिर्फ इनपुट वोल्टेज के flow resist करता है बल्कि वोल्टेज के चार्ज को भी react करता है और जरुरत के हिसाब से switch on/off भी करता है।

Switching Regulator कैसे काम करता है

इनपुट वोल्टेज को लगातार प्रतिरोध करना और उसे ground को जो sink की तरह इस्तेमाल कर उसे भेजें देते हैं। switching regulators उसे store करता है फिर charges को छोटे टुकड़ों में आउटपुट वोल्टेज को feedback के आधार पर डिलीवर कर देता है।

आउटपुट वोल्टेज को switch में feedback करके रेगुलेटर निरंतर चेक-इन रखता है की output में voltage chunks का समय को बढ़ाना या घटाना है या नहीं।

Switching Regulator के नुकसान

ये जल्दी स्विचिंग रेगुलेटर स्विच को चालू करता है उतना ही समय conductive से non conductive स्टेट में आने वाला है।

जिसके कारण conversion कैपेसिटी कम होता है। सर्किट में शोर भी बहुत उत्पन्न होता है।

switching voltage regulator applications

स्विचिंग रेगुलेटर ना सिर्फ स्टेप डाउन या वोल्टेज को स्टेप up करता है बल्कि उसे invert भी करता है।

स्विचिंग रेगुलेटर में इंडक्टर के through जो discontinuous mode करंट वो zero drop हो जाता है।

स्विचिंग रेगुलेटर में inductor के through continuous mode करंट कभी भी zero drop नहीं होता है।

स्विचिंग रेगुलेटर में frequency vary होती है अगर वो pulse rate modulation के साथ है। PRM के कारण जो constant duty cycle और noise spectrum होता है वो भी vary होता है उस noise को filter करना बहुत मुश्किल है।

Switching Regulator के उपयोग

  • यह highest आउटपुट पावर देता है।
  • इसका performance अन्य regulator से बेहतर है। जब करंट कम होता है तब यह बेहतर performance देता है।
  • इसमें शोर को filter करना भी आसान है।
  • Switching Topologies
  • Switching regulator के दो topologies होते है।
  • Non-isolation
  • Dielectric isolation 
  • Non-isolation : यह Vout/Vin में छोटे बदलावों पर आधारित है।

उदाहरण :-

स्टेप अप वोल्टेज रेगुलेटर – इनपुट वोल्टेज बढ़ाता है।

 स्टेप डाउन – इनपुट वोल्टेज कम करता है; स्टेप अप/स्टेप डाउन वोल्टेज रेगुलेटर- इनपुट वोल्टेज कम, ज्यादा या इनवर्टर करता है और यह controller पर depend करता है। 

Charge pump – यह inductor का उपयोग  बहुत सारे इनपुट प्रदान करता है।

Dielectric-isolation : यह radiation और तीव्र वातावरण पर आधारित है।

Switching Topologies के फायदे

स्विचिंग बिजली की आपूर्ति का सबसे बड़ा फायदा उसकी कैपेसिटी आकार और वजन हैं। यह कठिन डिजाइन है जो उच्च शक्ति कैपेसिटी को संभालने में सक्षम है। स्विचिंग वोल्टेज रेगुलेटर आउटपुट वोल्टेज इनपुट वोल्टेज से अधिक या कम या इनवर्ट कर देता है।

Switching topologies के नुकसान

  • उच्च आउटपुट तरंग वोल्टेज
  • धीमी क्षणिक वसूली समय
  • EMI आउटपुट में बहुत शोर उत्पन्न करता है।
  • बहुत महँगा होता हैं।
  • switching regulators तीन प्रकार होते है।
  • Step Up Voltage Regulator
  • Step Down (Buck) Voltage Regulator
  • Boosting/Bucking (Inverter)
  • Step Up Voltage Regulator

Step-up switching converters जिसे हम boost switching regulators भी कहते हैं। यह हमे इनपुट वोल्टेज को बढ़ा कर अधिक आउटपुट वोल्टेज देता हैं।

आउटपुट वोल्टेज तब तक ही नियंत्रित होगा जब तक सर्किट के आउटपुट पावर specification के अन्दर अगर पावर draw किया जाए। LED के तार को ड्राइव करने के लिए स्टेप अप स्विचिंग रेगुलेशन का इस्तेमाल होता है।

मान लीजिये की ये lossless सर्किट है

  जहाँ Pin= Pout 

इनपुट और आउटपुट पावर समान हैं। 

    Vin Iin = Vout Iout 

      Iout / Iin = (1-D)

इस सर्किट से हम अनुमान लगा सकते हैं।

  • पावर समान रहता है।
  • वोल्टेज में अधिक होता है।
  • करंट कम होता है।
  • DC ट्रांसफार्मर के equivalent है।

Step Down (Buck) Voltage Regulator

यह इनपुट वोल्टेज को कम कर देता है यह technique variable इनपुट के आधार पर कम regulated आउटपुट वोल्टेज का उत्पादन करता हैं वैसे ही जैसे linear regulator काम करता है।

अगर इनपुट पावर आउटपुट पावर के बराबर होता है, तब

Pin = Pout

Vin Iin = Vout Iout

Iout / Iin = Vin /Vout = 1/D

स्टेप डाउन कन्वर्टर DC ट्रांसफॉर्मर के बराबर होता है जहाँ range 0-1 के अनुपात में बदल जाता है।

Boosting/Bucking (Inverter)

यह technique hybrid जैसा है, जो डिज़ाइनर यह क्षमता प्रदान करता है की वह आउटपुट वोल्टेज को स्टेप अप, स्टेप डाउन या इनवर्ट कर सके।

अगर आप परिष्कृत डिज़ाइन के साथ काम कर रहे हैं जहाँ पावर रूपांतरण दक्षता चिंता का विषय है और इनपुट और आउटपुट वोल्टेज का अंतर भी बहुत अधिक है। तो आप switching regulator का इस्तेमाल करें।

आउटपुट वोल्टेज इनपुट वोल्टेज के Opposite Polarity का होता है।

यह हासिल करने के लिए off समय में VL फॉरवर्ड-बायस और डायोड रिवर्स बायस होता है। जो off समय में करंट उत्पादन और वोल्टेज उत्पादन के लिए कैपेसिटर चार्ज करता है।

Voltage Regulator कैसे चेक करें

वोल्टेज रेगुलेटर को चेक करने के लिए आपको मल्टीमीटर को DC वोल्टेज पर सेट करने होता हैं।

अब हम यहाँ पर 6 वाल्ट का रेगुलेटर चेक करना सीखेगे उसके लिए हमे वोल्टेज रेगुलेटर में सप्लाई देनी होती हैं। सप्लाई देने के लिए हमे पावर सप्लाई में 7v से 25व के बीच वोल्टेज सेट करनी होती हैं।

अब आप ऊपर डायग्राम में देख रहे हैं वैसे ही हमे चेक करना हैं।

सबसे पहले वोल्टेज रेगुलेटर में इनपुट देनी होती हैं जो कि हम 7v से 25v तक दे सकते हैं। वोल्टेज रेगुलेटर में 3 पिन होती हैं अपने ऊपर पढ़ ही लिया होगा।

इनपुट ग्राउंड और आउटपुट। इनपुट पिन और ग्राउंड पिन पर सप्लाई देते हैं और आउटपुट पिन से आउटपुट चेक करते हैं।

इनपुट वोल्टेज 7v से 25v तक दे सकते हैं पर आउटपुट फिक्स आता हैं। जितने वाल्ट का वोल्टेज रेगुलेटर होगा आउटपुट उतना ही आता हैं 

आपका वोल्टेज रेगुलेटर 6v का है तो आउटपुट 6v ही आएगा तो आपका वोल्टेज रेगुलेटर ठीक हैं।

और अगर आपका आउटपुट कम या ज्यादा आ रहा हैं तो आपका वोल्टेज रेगुलेटर खराब हैं।

आपको कौन सा regulator कहाँ लगाना चाहिए 

सभी सर्किट की डिज़ाइन अलग अलग होती हैं और ऐसा कोई universal regulator नहीं है जो किसी भी सर्किट की सभी ज़रुरत को पूरा कर सके। तो आगे पढ़ते हैं जब कौन सा रेगुलेटर का उपयोग करें।

अगर आपके डिज़ाइन को कम आउटपुट noise और कम विद्युतचुंबकीय interference की जरूरत है तो आपको linear regulators लगाना होता है।

और अगर आपके डिज़ाइन को इनपुट का fastest response और आउटपुट disturbances की जरूरत हैं तो भी आप linear regulator को ही लगायेगे।

अगर आपको cost में समस्या है तो आप linear regulator को ही लगाये।

आपका डिज़ाइन हाई पावर पर operate हो रहा है तो इस स्थिति में switching regulators ही सस्ता पड़ता हैं क्योकि उसे कोई भी heatsink की ज़रुरत नहीं होती हैं।

और अगर आपका सर्किट सिर्फ DC power supply पर ही operate करता है और आपको आउटपुट वोल्टेज को step up करना है तो switching regulators इसे कंट्रोल कर लेगा।

अगर आपका डिज़ाइन को AC power conversion efficiency चाहिए हैं तो आप switching regulators लगाये यह 85% कैपेसिटी देता है।

आशा हैं कि आपको अब समझ आ गया होगा कि वोल्टेज रेगुलेटर क्या है और आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करे।

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