हेलो दोस्तो, आज के इस आर्टिकल में हम MOSFET की परिभाषा, प्रकार एवं उपयोग की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो आप आर्टिकल को पूरा जरूत पढ़े।
पिछले पेज पर हमने Voltage Regulator की जानकारी शेयर की हैं तो उस आर्टिकल को भी पढ़े। चलिए आज हम MOSFET की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
MOSFET क्या हैं
यह एक Semiconductor डिवाइस हैं जिसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में Switching और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को Amplify करने के लिए किया जाता हैं।
यह Computer और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट की Power को Control करता हैं। यह आपको किसी भी Desktop तथा Laptop की Motherboard पर देखने को मिल जाता हैं
यह Electrical Signal को Amplify और Switch करता हैं। आज कल इसका उपयोग बढ़ता ही जा रहा हैं। क्योंकि हम इसे Analog और Digital दोनों Circuits मे उपयोग कर सकते हैं।
अब MOSFET को बनाने के लिए “Metal Oxide” की जगह पर “Polysilicon” का उपयोग किया जाता हैं।
इसका उपयोग हम Power Supply Circuit में, Inverter में और PWM (Pulse With Modulator) में कर सकते हैं। MOSFET एक तरह से Transistor का ही हिस्सा होता हैं। ये MOSFET 3 पिन, 4 पिन, 8 पिन के भी होते हैं।
MOSFET के टर्मिनल
- Source
- Drain
- Gate
MOSFET की History
मॉसफेट का आविष्कार 1959 में Mohamed Atalla और Dawon Kahng ने अमेरिका के Bell Labs नाम के में किया था। आज के समय यह दुनिया में सबसे अधिक उपयोग होने वाला ट्रांजिस्टर और सेमीकंडक्टर डिवाइस है।
हालाँकि मॉसफेट को बनाने का idea बाईपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर (BJT) से लिया गया था जिसे 1947 में ही William Shockley (विलियम शॉक्ले) ने बनाया था। MOSFET को BJT का आधुनिक संस्करण या Updated Version भी कहते हैं।
MOSFET के प्रकार
MOSFET दो प्रकार के होते हैं।
- N-Channel MOSFET
- P-Channel MOSFET
1. N-Channel MOSFET
N-Channel MOSFET का ज्यादातर उपयोग सर्किट में किया जाता हैं। इसके गेट पर जब Positive supply दी जाती हैं तो Source पर current रुक जाता हैं और Drain से Current बाहर निकल जाता हैं। इस मॉस्फेट के अंदर लगे डायोड का पॉजिटिव, Source से और नेगेटिव, Drain से जुड़ा होता हैं।
2. P-Channel MOSFET
P-Channel MOSFET का ज्यादा उपयोग नहीं किया जाता हैं क्योंकि इसके Gate पर Negative voltage देनी पड़ती हैं। इस MOSFET के अंदर लगे Diode का Positive Point, Drain से और Negative Point, Source से जुड़ा होता हैं।
MOSFET के Mode
MOSFET के दो Mode होते हैं।
- Depletion Mode
- Enhancement Mode
1. Depletion Mode MOSFET
डिप्लेशन मोड में जब गेट टर्मिनल पर शून्य वोल्टेज होता है, तो चैनल अपनी अधिकतम चालकता दिखाता है। जब गेट पर पॉजिटिव या नेगेटिव वोल्टेज होता है तो इसमें चैनल की चालकता कम हो जाती है। इसका उपयोग डिवाइस को ऑफ करने के लिए किया जाता हैं।
डिप्लेशन मोड को 2 भागों में बाटा गया हैं।
- N-Channel Depletion mode
- P-Channel Depletion mode
2. Enhancement Mode MOSFET
एन्हांसमेंट मोड में जब गेट टर्मिनल पर कोई वोल्टेज नहीं होता है तो मस्फ़ेट काम नहीं करता है, कोई प्रवाह बहता नहीं है। जैसे ही गेट पर वोल्टेज बढ़ता है, मस्फ़ेट चालकता बढ़ जाती है। यह किसी डिवाइस को on करने के लिए किया जाता हैं।
एन्हांसमेंट मोड को भी 2 भागों में बाटा गया हैं।
- N-Channel Enhancement mode
- P-Channel Enhancement mode
MOSFET कैसे काम करता है
MOSFET का काम Source और Drain के बीच वोल्टेज और Current Flow को नियंत्रित करने में योग्य होता हैं यह स्विच की तरह काम करता हैं।
MOS Capacitor, MOSFET का मुख्य भाग होता हैं। ऑक्साइड की परत के नीचे जो सेमीकंडक्टर की सतह होती है (Source और Drain के बीच में), उस सतह को Gate टर्मिनल पर पॉजिटिव और नेगेटिव वोल्टेज देने पर p टाइप से n टाइप में बदला जा सकता हैं।
जब हम पॉजिटिव गेट वोल्टेज लगते हैं तो ऑक्साइड परत के नीचे मौजूद Holes एक प्रतिकारक बल के साथ और Holes Substrate से नीचे धकेल दिए जाते हैं। Depletion क्षेत्र में नेगेटिव चार्ज बढ़ जाता हैं।
पॉजिटिव चार्ज n+ Source और Drain से इलेक्ट्रॉन्स को आकर्षित करते हैं। अब यदि Drain और Source के बीच वोल्टेज दे दिया जाये तो करंट बिना किसी रुकावट के Source और Drain के बीच Flow होगा और Gate वोल्टेज चैनल में इलेक्ट्रॉन्स को कंट्रोल करेगा।
यदि हम पॉजिटिव वोल्टेज की जगह नेगेटिव वोल्टेज देते हैं तो एक Hole चैनल Oxide Layer के नीचे बन जायेगा।
i). P Channel MOSFET
P Channel MOSFET में Source और Drain के बीच P चैनल का क्षेत्र होता हैं। यह एक चार टर्मिनल वाली डिवाइस होती है जिसके चार टर्मिनल Source, Drain, Gate और Body हैं।
Drain और Source बहुत ज्यादा डोप किये हुए p+ क्षेत्र होते हैं और Body या Substrate n टाइप होता हैं। करंट का Flow पॉजिटिव रूप से Charged Hole द्वारा होता हैं।
जब हम नेगेटिव Gate वोल्टेज लगाते हैं तो Oxide की परत के नीचे मौजूद इलेक्ट्रॉन्स प्रतिकारक बल के कारण नीचे की तरफ Substrate में धकेल दिए जाते हैं।
Depletion क्षेत्र पॉजिटिव चार्ज से भर जाता है जो कि Donor Atom से जुड़े रहते हैं। नेगेटिव Gate वोल्टेज p+ Source और Drain से चैनल क्षेत्र में और Hole को आकर्षित करता हैं। और इस प्रकार करंट Source और Drain के बीच Flow होने लगता हैं।
ii). N Channel Mosfet
इसमें Source और Drain के बीच में N चैनल क्षेत्र होता हैं। यह चार टर्मिनल डिवाइस होती हैं। Drain और Source बहुत ज्यादा डोप किये हुए n+ प्रकार के क्षेत्र होते हैं। और Substrate या Body P टाइप होती हैं।
इसमें करंट नेगेटिव रूप से चार्ज इलेक्ट्रॉन्स के कारण Flow होता हैं। जब हम पॉजिटिव Gate वोल्टेज लगाते हैं तब Depletion Layer के नीचे मौजूद Hole प्रतिकारक बल के कारण नीचे की ओर Substrate में धकेल दिए जाते हैं।
Depletion क्षेत्र नेगेटिव चार्ज से भर जाता है जो कि Acceptor Atom के साथ जुड़े रहते हैं। पॉजिटिव वोल्टेज n+ प्रकार के Drain और Source से और इलेक्ट्रॉन्स को चैनल में आकर्षित करता हैं इसमें करंट Source और Drain के बीच Flow होने लगता हैं।
MOSFET कैसे चेक करें
मॉस्फेट को Multimeter से चेक करने के लिये सबसे पहले मल्टीमीटर को Diode या Continuity range पर set करें।
N Channel Mosfet चेक कैसे करे
N-Channel Mosfet को चेक करने के लिए सबसे पहले हम मल्टीमीटर के ब्लैक प्रोब को Drain पर रखेंगे और रेड प्रोब को Source पर रखेंगे।
यदि मीटर में कोई भी रेजिस्टेंस दिखता हैं एवं दूसरी तरफ हम रेड प्रोब को Gate से कनेक्ट करते हैं पर कोई भी रेजिस्टेंस नहीं दिखाता हैं तो यह N-Channel मॉस्फेट हैं।
P Channel Mosfet चेक कैसे करे
P Channel Mosfet को चेक करने के लिए मल्टीमीटर की रेड प्रोब को Drain पर रखेंगे एवं ब्लैक प्रोब को Source पर रखेंगे तो मीटर में कुछ रेजिस्टेंस दिखायेगा। और ब्लैक प्रोब को गेट से कनेक्ट करने पर कोई रेजिस्टेंस नहीं दिखता हैं तो यह Mosfet P-Channel मॉस्फेट हैं।
Mosfet जैसा की ऊपर पढ़ा हैं कि Drain और Source आपस में कुछ रेजिस्टेंस दिखाते हैं पर गेट से कोई रेजिस्टेंस नहीं आता हैं तो Mosfet चेक करने के लिए Gate से Trigger करना पड़ता हैं।
यदि हम N-Channel Mosfet को चेक करते हैं तो हमें मल्टीमीटर का Black प्रोब को Drain पर रखना हैं और Red प्रोब को Source पर रखना हैं तो उस समय हमें मल्टीमीटर के Red प्रोब से Gate को ट्रिगर अर्थात Gate से टच करना पड़ेगा।
जिससे Mosfet on हो जायेगा इसके बाद हम फिर से Red प्रोब को Source पर लगते हैं तो मल्टीमीटर से Beep या 0 से 500Ω तक रेजिस्टेंस दिखता हैं फिर प्रोब को Gate या Source पर चेंज करके लगाते हैं तो भी यही रेजिस्टेंस बताता हैं।
इसके बाद एक बार फिर से Mosfet को Off या Discharge करेंगे Discharge करने के लिए Mosfet की तीनो पिनो गेट, ड्रेन और सोर्स को आपस में किसी भी चीज से या उंगलियों से जोड़ देंगे।
जिससे Mosfet off या Discharge हो जायेगा उसके बाद हम फिर से Mosfet को चेक करते हैं तो Drain से Source कुछ रेजिस्टेंस दिखायेगा और Drain से Gate Open या कुछ भी नहीं दिखायेगा तो Mosfet सहीं हैं।
Mosfet ख़राब होने की Conditions
1. Leakage Mosfet :- यदि हम किसी Mosfet को चेक कर रहे हैं और वह Drain से Gate और Source दोनों ही तरफ रेजिस्टेंस दिखता हैं तो वह लीकेज Mosfet हैं।
2. Open Mosfet :- यदि हम किसी Mosfet को चेक कर रहे हैं और वह Drain से Gate और Source दोनों ही तरफ ओपन दिखता हैं मतलब की 1 या फिर कोई रेजिस्टेंस नहीं आ रहा हैं। तो वह Mosfet ओपन हैं।
3. Shot Mosfet :- यदि हम किसी Mosfet को चेक कर रहे हैं और वह Drain से Gate और Source दोनों ही तरफ शॉट बताता हैं मतलब की मल्टीमीटर में 0 या फिर बीप साउंड आ रहा हैं तो वह Mosfet शॉट हैं।
Note :- आप किसी भी Mosfet को चेक करते समय यह ध्यान रखे कि वह P-Channel Mosfet हैं या N-Channel Mosfet हैं।
MOSFET क्यों इस्तेमाल करते हैं
MOSFET एक धातु ऑक्साइड अर्धचालक क्षेत्र प्रभाव ट्रांजिस्टर हैं। यह एक अर्धचालक उपकरण हैं जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को स्विच करने और बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता हैं।
इनका उपयोग अनेक ध्रुवों के बीच इलेक्ट्रिक सिग्नल को बदलने या इनपुट वोल्टेज को कम करने या बढ़ाने के लिए किया जाता हैं।
MOSFET के उपयोग
Mosfet को बहुत जगह उपयोग किया जाता हैं आइये पढ़ते हैं।
- Mosfet का उपयोग इलेक्ट्रिक डिवाइस में स्विचिंग के लिए किया जाता हैं।
- Mosfet का उपयोग किसी भी इलेक्ट्रिक सिग्नल को Amplify करने के लिए किया जाता हैं।
- Mosfet का उपयोग Analog और Digital दोनों डिवाइस में किया जाता हैं।
- Mosfet का उपयोग High Frequency को Amplify करने के लिए किया जाता हैं।
- मॉस्फेट का उपयोग पैसिव एलिमेंट या प्रतिरोधक के रूप में होता हैं।
- Mosfet का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक DC Relay में होता हैं।
- मॉस्फेट का उपयोग Switch Mode Power Supply (SMPS) में किया जाता हैं।
MOSFET के लाभ
- मॉस्फेट तेजी से काम करते हैं।
- मॉस्फेट सस्ते होते हैं और यह size में छोटे होते हैं।
- मॉस्फेट की उम्र बहुत लम्बी होती है यह जल्दी से खराब नहीं होते हैं।
- उच्च इनपुट Impedance में गेट वर्तमान results की अनुपस्थिति उच्च स्विचिंग गति का उत्पादन करती हैं।
- मॉस्फेट से पहले सर्किट निर्माण में बाईपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर का उपयोग बहुत अधिक होता था लेकिन अब सभी प्रकार के सर्किट में मॉस्फेट का ही उपयोग होता हैं।
- मॉस्फेट कुछ हिस्से में पहले से ही Insulated होते है जिसके कारण इसे चलने के लिए बहुत कम वोल्टेज की जरूरत होती हैं।
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इस आर्टिकल में हमने मॉसफेट को सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया हैं उम्मीद हैं कि MOSFET का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।
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