हेलो दोस्तो, इस आर्टिकल में आज हम Resistance के बारे में पढ़ने वाले हैं, रेजिस्टेंस क्या होता हैं इसके प्रकार, कार्य, उपयोग और इसको कैसे चेक करते हैं तो आप आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।
पिछले पेज पर हमने डायोड की परिभाषा, प्रकार एवं कार्य की जानकारी शेयर की हैं तो उस आर्टिकल को भी पढ़े। चलिए आज Resistance की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
रेजिस्टेंस क्या हैं
यह एक Passive Electrical Component होता हैं जो किसी Circuit में हो रहे Electric Current को Flow होने से रोकता हैंl
इसी रुकावट को Resistance कहते हैं और इस Component को Resistor कहते हैं।
Resistance को हिंदी में प्रतिरोध कहते हैं।
इसको R से प्रदर्शित करते हैं इसका SI मात्रक ohm (Ω) होता हैं।
Symbol
जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक विद्युत धारा के मार्ग में रुकावट डालता हैं। इसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
इसके दो Word होते हैं। Resistance और Resistor में अन्तर बस इतना है कि Resistance एक राशि है और Resistor Resistance पैदा करने वाली Device होती है हिंदी में दोनो का मतलब प्रतिरोध ही होता हैं।
रेसिस्टर के प्रकार
Resistor दो प्रकार के होते हैं।
- Fixed Resistor – इसकी Resistance Value Fixed होती हैं।
- Variable Resistor – इसकी Resistance Value को कम ज्यादा किया जा सकता हैं।
1. Fixed Resistor
फिक्स रेजिस्टर वो रजिस्टर होता हैं जिसका रेजिस्टेंस मान फिक्स होता हैं किसी भी सर्किट में फिक्स मान वाले रेजिस्टेंस की जरूरत पड़ती हैं।
वहां फिक्स रजिस्टर को यूज करते हैं इसका रेजिस्टेंस फिक्स इसलिए होता हैं क्योंकि फिक्स रजिस्टर बनाते समय इसका मान निर्धारित कर दिया जाता हैं यह 2 पिन के होते हैं।
- Carbon Composition
- Carbon Pile
- Carbon Film
- Printed Carbon Resistor
- Thick and Thin Film
- Metal Film
- Metal Oxide Film
- Wire Wound
- Foil Resistor
- Ammeter Shunts
- Grid Resistor
2. Variable Resistor
वेरिएबल रिजिस्टर वो रजिस्टर होते हैं जिनका मान कम ज्यादा किया जा सकता हैं इसमें रिजिस्टर के रेजिस्टेंस को Adjust किया जाता हैं हमे इनकी knob को Rotate करना होता हैं।
उसी से इसका मान fixed करते हैं इसे टेलीविजन में भी use किया जाता हैं। Volume कम ज्यादा करने के लिए इसे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में भी अपनी जरूरत के अनुसार value कम ज्यादा करने के लिए use करते हैं यह 2 पिन (टर्मिनल) और 3 पिन के होते हैं।
- Adjustable resistors
- Potentiometers
- Resistance decade boxes
- Special devices
Resistance को कैसे मापते हैं
किसी भी रिजिस्टर का रेजिस्टेंस मापने के कई तरीके होते हैं।
जैसे उसके कलर कोड का यूज करके उसका मान पता कर सकते हैं। या फिर मल्टीमीटर का यूज से भी रेजिस्टेंस चैक कर सकते हैं। या तो रिजिस्टर का रेजिस्टेंस मापने के लिए ohm के नियम का use भी कर सकते हैं।
1. किसी भी रिजिस्टर का रेजिस्टेंस उसके कलर कोड से चैक करने के लिए रजिस्टर में अलग अलग कलर की पट्टियां होती हैं। इसी कलर कोड का यूज करके मान निकाला जाता हैं। आप नीचे टेबल में कलर ओर उसके नंबर देख सकते हैं। और उसका रेजिस्टेंस कैसे निकाला हैं वो भी सीख सकते हैं।
2. मल्टीमीटर का उपयोग करके रिजिस्टर का रेजिस्टेंस पता करने के लिए सबसे पहले मल्टी मीटर को Ω के सिंबल पर सेट करना होता हैं। उसके बाद रिजिस्टर की दोनो टर्मिनल (पिन) पर मल्टीमीटर की दोनो टर्मिनल (प्रोब) रखनी होती हैं। फिर मल्टी मीटर की डिस्प्ले पर आपको जो दिखाई देगा वही इसका रेजिस्टेंस होगा।
3. ओम के नियम से रिजिस्टर का रेजिस्टेंस निकालना जब किसी विधुत परिपथ में धारा और वोल्टेज दिया होता हैं तब हम ओम के नियम का उपयोग करके रेजिस्टेंस निकाल सकते हैं।
R = V/I
जहां,
R – वस्तु का प्रतिरोध है, जो ओह्म में मापा गया हैं।
V – वस्तु के आर-पार का विभवांतर हैं। जो वोल्ट में मापा गया।
I – वस्तु से होकर जाने वाली विद्युत धारा हैं। जिसे एम्पीय़र में मापा गया हैं।
रेसिस्टर कैसे काम करता हैं
इसको समझना आसान हैं। ऐसी कई चीजें होती हैं जिसमे करंट नही गुजर पाता हैं।
जैसे कोई लकड़ी या प्लास्टिक और कुछ पदार्थ ऐसे होते है जिनमे करंट फ्लो हो जाता हैं।
जैसे :- कॉपर, अलुमिनियम।
इसमें आसानी से करंट गुजर जाता हैं इसलिए इनको हम वायर के लिए उपयोग में लेते हैं।
अभी हमको सिर्फ यह याद रखना हैं जिन चीज़ों में से करंट गुजर जाता हैं उसको हम कंडक्टर कहते हैं। और जो करंट चीजों को बहने नही देते उसको हम इंसुलेटर कहते हैं।
अब हमे यह पता चल गया है की कंडक्टर हमारे करंट के बहने का एक रास्ता होता हैं। और अगर हम इस करंट के रास्ते को खराब कर दे तो करंट को गुजरने में मुश्किल होगी जिसके कारण करंट की स्पीड कम हो जाएगी। तो यही चीजें रेसिस्टर के अंदर की जाती हैं।
Resistor को जब बनाया जाता है तब सबसे पहले एक कंडक्टर वायर को लेते है जो की हमको रेसिस्टर के दोनो साइड बाहर निकले हुए भी दिखते हैं। पर इस वायर को बीच में से ब्रेक मतलब तोड़ दिया जाता हैं। और बीच की जगह पर कार्बन को भर दिया जाता हैं।
Resistor में कार्बन के उपयोग के कारण करंट को गुजरने में तकलीफ होती है और करंट की स्पीड कम हो जाती हैं।
रेसिस्टर के उपयोग
- किसी भी सर्किट में करंट की लिमिट को कंट्रोल करने के लिए रेसिस्टर का उपयोग किया जाता हैं।
- किसी भी सर्किट में वोल्टेज को रिड्यूस करने के लिए रेसिस्टर का उपयोग किया जाता हैं।
- इलेक्ट्रिकल डिवाइस में रेसिस्टर का उपयोग Timing Cycle को Control करने के लिए किया जाता हैं।
- इलेक्ट्रिकल सर्किट में ट्रांसमिशन लाइन को Terminate करने के लिए भी रेसिस्टर का उपयोग किया जाता हैं।
उदाहरण :-
1. हमारे पास एक LED बल्ब हैं, और हमे उसको start करना हैं। इसके लिए सबसे पहले हम यह चेक करेंगे की वह कितने करंट और वोल्टेज के लिए बना हैं।
2. अब अगर हमारे पास LED की कैपेसिटी से ज्यादा की बैटरी हैं, तो हम बीच में एक resistor का उपयोग कर लेंगे ताकि बैटरी से निकलने वाले एक्स्ट्रा करंट को resistor रोक दे, और हमारी LED आसानी से जलने लगे।
Resistance का कनेक्शन
Series Connection

किसी भी सर्किट में हम रेसिस्टर को दो तरह से कनेक्ट कर सकते हैं एक सीरीज और दूसरा पैरेलल दोनों तरीके अलग-अलग हैं और इनमें रेसिस्टर की वैल्यू बदल जाती हैं, दोनों तरह के कनेक्शन करने पर इसकी रेजिस्टेंस वैल्यू आप नीचे दिए हुए फार्मूला से निकाल सकते हैं।
R = R₁ + R₂ + R₃ + ………
अगर आपने एक सर्किट में सभी रजिस्टर को क्रमबद्ध यानी की सीरीज में लगा दिया हैं तो उनका रजिस्टेंस आपस में जोड़कर कुल रजिस्टेंस आ जाएगा।
Parallel Connection
1/R = 1/R₁ + 1/R₂ + 1/R₃ +…
अगर आपने सभी प्रतिरोध को समानांतर लगा दिया हैं तो इनका रजिस्टेंस निकालने के लिए आपको ऊपर दिया गया फार्मूला लगाना पड़ेगा।
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आशा हैं आपने यह Resistance वाला यह आर्टिकल पूरा पढ़ा होगा और आपको रेसिस्टर की यह पोस्ट पसंद आयी होगीं।
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