चुम्बक क्या होती है इसके प्रकार, उपयोग और गुण

हैलो दोस्तो आज के पोस्ट में हम चुम्बक की परिभाषा, चुम्बक के प्रकार, गुण के बारे में पढेगे तो आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े।

पिछले पेज पर हमने MOSFET की जानकारी शेयर की थी तो उस आर्टिकल को भी पढ़े।

चलिए आज की इस पोस्ट में हम चुम्बक की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

चुम्बक क्या होता है

वो पदार्थ जो चुंबकीय पदार्थ जैसे लोहा, कोबाल्ट, स्टील आदि को अपने तरफ आकर्षित करता है उसे चुम्बक कहते है।

चुम्बक को अंग्रेजी में मैगनेट कहा जाता है। चुम्बक अपने चारो तरफ चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जब कोई  चुंबकीय पदार्थ इस क्षेत्र के संपर्क में आता है।

तब वह चुम्बक की तरफ आकर्षित होने लगता है। चुंबक का दुसरे पदार्थ को अपने तरफ खीचने का गुण चुम्बकत्व कहलाता है।

चुंबक शब्द यूनान के एक द्वीप मैग्नीशिया के नाम से उत्पन्न हुआ है जहां सबसे पहले चुम्बकीय अयस्को के भंडार मिले थे। 

प्राचीन काल में ग्रीस में एशिया माइनर के मैग्नीशिया में एक ऐसे पदार्थ की खोज हुई जिसमें लोहे, कोबाल्ट और निकल को आकर्षित करने की क्षमता थी।

इस धात्विक पदार्थ को उचित स्थान के नाम पर मैग्नेटाइट तथा इस परिघटना को चुंबकत्व कहा गया। 

इसे स्वतंत्रता पूर्वक लटकाने पर यह उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरता है अतः दिशा बताने के कारण इसे दिख सूचक पत्थर भी कहा गया। 

Magnet की परिभाषा

वे पदार्थ जिनको स्वतंत्रता पूर्वक लटकाने पर वे उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरते हो तथा लोह पदार्थों केा अपनी और आकर्षित करते हो, उन्हें चुम्बक कहा जाता है।

तो दोस्तो यह थी चुम्बक की वैज्ञानिक परिभाषा। अब हम यह जानते है। कि कोई चुम्बक किसी वस्तु पर चुम्बकीय बल किस प्रकार से आरोपित करती है। या किस प्रकार से अपने चुम्बकीय प्रभाव को व्यक्त करती है।

Magnet के प्रकार

 चुंबक दो प्रकार के होते हैं। 

  1. प्राकृतिक चुंबक
  2. कृत्रिम चुंबक

1. प्राकृतिक चुंबक

वह चुंबक जो प्रकृति से प्राप्त अयस्क Fe3O4 जिसे मैग्नेटाइट कहते हैं से बनी होती है वह प्राकृतिक चुंबक कहलाती है। 

प्राकृतिक चुंबक अनियमित या अनिश्चित आकार के होते हैं। इनका चुंबकत्व बहुत कम होता है। अतः इनका प्रायोगिक कार्य में उपयोग नहीं करते हैं। 

2. कृत्रिम चुंबक

वे चुंबक जो मानव द्वारा निर्मित किए जाते हैं कृत्रिम चुंबक कहलाते हैं। इनकी आकृति किसी भी प्रकार की रखी जा सकती है। जैसे – छड़ चुंबक, नाल चुंबक, चुंबकीय सुई आदि।

जब किसी लौह चुंबकीय पदार्थ को तीव्र चुंबक क्षेत्र में रखते हैं या किसी लोहे की छड़ पर लंबाई की अनुदिश चुंबक रगड़ा जाए

याद धारावाही परिनालिका की अक्ष पर उसके अंदर लोहे की छड़ रखी जाए तो यह चुंबकीय हो जाती है। इस प्रकार कृत्रिम चुंबक कई प्रकार से बनाए जाते हैं। 

कृत्रिम चुंबक के प्रकार

कृत्रिम चुंबक दो प्रकार के हो सकते हैं। 

  1. स्थाई चुंबक
  2. अस्थाई चुंबक

(i). स्थाई चुंबक

वे चुंबक जो कठोर स्थिर तथा चुंबकीय मिश्र धातुओं एलनिको से बनते हैं स्थाई चुंबक कहलाते हैं।

स्थायी चुम्बक होते हैं जिनका चुम्बकत्व अनेक वर्षो तक बना रहता है। ये फौलाद (Steel) अथवा मिश्र चुम्बकीय धातुओं से बनाये जाते हैं। मिश्र चुम्बकीय धातु एल्यूमीनियम, निकिल, लौह, तांबा तथा कोबाल्ट से 8:14:15:3:24 के अनुपात में मिलाकर बनाई जाती है।

यह एलनिको (Alnico) या एल्कोनैक्स (Alconex) कहलाती है। प्रारम्भ में लौह छड़ पर चुम्बक की घर्षण क्रिया से चुम्बक बनाये जाते थे परन्तु आजकल शक्तिशाली करंट वाली क्वायल के मध्य फौलाद अथवा मिश्र चुम्बकीय धातुओं की छड़ आकार, बेलनाकार अथवा घोड़े की नाल (Horse Shole) के आकार के होते हैं।

यह अनिश्चित काल तक चुंबकत्व का गुण प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार के चुंबक का चुंबकत्व सरलता से नष्ट नहीं होता है किंतु इसके चुंबकत्व को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।  

(ii). अस्थाई चुंबक

यह चुंबक नरम लोहे या गर्म स्टील के बने होते हैं यह तब तक चुंबकीत रहते हैं। जब तक चुंबकीय बल उपस्थित होता है जब चुंबकीय बल हटा लिया जाता है। 

तो इनका चुंबकत्व समाप्त हो जाता है। इन्हें इच्छित आकार इच्छित प्रबलता का बनाया जा सकता है। इनका उपयोग विद्युत जनित्र, विद्युत मोटर, विद्युत घंटी आदि किया जाता है। अथवा

नर्म लोहे से बनाये गये विद्युत-चुम्बक, अस्थायी चुम्बक कहलाते हैं। ये आवश्यकतानुसार अनेक आकार के बनाये जाते हैं। अस्थायी चुम्बक के चुम्बत्व का अस्तित्व तभी तक रहता है जब तक कि उसकी क्वायल मे से करंट बहती रहती है।

Magnet के प्रमुख उपयोग

कम्प्यूटर युक्तियों में

  1. दोस्तो हम अपने कम्प्युटर में जिस फ्लाॅपी डिस्क का उपयोग पहले के समय में करते थे। उसमें चुम्बक का उपयोग डेटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। और आज भी हार्ड डिस्क और ऑडियो टेप आदि में भी डेटा को स्टोर करने के लिए चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
  2. आप जिन क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम कार्ड का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते है। क्या आप इन्हें कभी ध्यान से देखा है। इन पर एक चुम्कीय पट्टी लगी रहती है। जिस पर कुछ आकंड़े और सूचनाएँ दी गई होती है।
  3. चुम्बक का उपयोग हमारे पुराने जमाने के टीवी और कम्प्यूटर के माॅनिटर में भी किया जाता था।
  4. दैनिक विद्युत युक्तियों में
  5. आज कल भी लाउडस्पीकर और माइक्रोफोन में पहले की तरह ही चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
  6. दोस्तो अगर हम अपने दैनिक जीवन के कुछ ओर उदाहरण ले तो घर में उपयोग होने वाली विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र जिसे हम आम भाषा में इन्र्वटर कहते है, में भी चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
  7. इसका प्रयोग विद्युत जनरेटर में विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
  8. कृत्रिम चुंबक का प्रयोग करके विद्युत घंटी और ट्रांसफॉर्मर क्रोड का निर्माण किया जाता है।
  9. लाउडस्पीकर का निर्माण भी इसी चुंबक का उपयोग करके किया जाता है।
  10.  एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के पीछे एक चुम्बकीय पदार्थ की लेप होती है, जिसमें उपयोगकर्ता की जानकारी छिपी रहती हैं।

दिशा सूचक यंत्र कम्पास में

  1. इसी के साथ चुम्बक का उपयोग दिक्सूचक के रूप में भी किया जाता है। आपने टी.वी. में बहुत सारी फिल्मस देखी होगीं। जिनमें राहगिर के द्वारा अपने साथ में एक कम्पास का उपयोग दिशा को जानने के लिए किया जाता है। उसमें चुम्बक का ही उपयोग होता है। अपने इसे अपने दैनिक जीवन में भी उपयोग में लाया होगा।
  2. जैसा कि आपको हमने पहले बताया कि चुम्बक को जब स्वतंत्रतापूर्वक लटकाते है। तो इसका उत्तरी ध्रुव उत्तरी की दिशा को दर्शाता है। और दक्षिणी ध्रुव दक्षिण की दिशा को दर्शाता है। इस प्रकार कम्पास में चुम्बक लगी रहती है। जिसके कारण राहगीर सही दिशा का अनुमान लगा सकते है।

खिलौनों में

  • दोस्तो चुम्बक का उपयोग बहुत से खिलौने बनाने में भी किया जाता है। जिनसे रिमोट कार सबसे ज्यादा प्रचलित है।

चुम्बक के अन्य उपयोग

  1. किसी प्रकार के अवांछनिय तत्वों में से चुम्बकीय पदार्थों को अलग करने के लिए चुम्बक का उपयोग किया जाता है।
  2. आज कल चुम्बकीय बेयरिंग भी काफी प्रचलित हुए है। जिनका उपयोग करने से शाफ्ट बिना किसी चीज के स्पर्श किये हुए घूमता रहता है। और इसका फायदा यह रहता है। कि न तो ऊर्जा का व्यय होता है। और न ही यंत्रों की क्षति होती है।
  3. आपने किन्ही चुम्बकीय क्रेनों को तो देखा ही होगा। अकसर कल-कारखानों में चुम्बकीय क्रेनों का उपयोग भारी कन्टेनरस को उठाने में किया जाता है।
  4. चुम्बक का उपयोग लोहचुम्बकीय अयस्क या पदार्थों के पृथक्करण में भी किया जाता है।
  5. तो दोस्तों इस प्रकार चुम्बक के बहुत सारे उपयोग है।

Magnet के गुण

  1. प्रत्येक चुम्बक लोहे की छोटी- छोटी वस्तुओ को अपनी ओर आकर्षित करता है।
  2. प्रत्येक चुम्बक में दो ध्रुव होते है – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव , जिसमे पृथ्वी के उत्तर के ओर का ध्रुव उत्तरी ध्रुव और दक्षिण के ओर का ध्रुव दक्षिणी ध्रुव कहलाता है।
  3. दो चुंबको के समान ध्रुवो के बीच सदैव प्रतिकर्षण और विपरीत ध्रुवो के बीच सदैव आकर्षण होता है।
  4. यदि चुम्बक को किसी खूटी से स्वतंत्रतापूर्वक बढ़ कर लटका दे तो वह सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ही ठहरता है. चुम्बक के एक विलग ध्रुव का कोई सतीत्व नहीं होता है अर्थात चुम्बक को छोटे छोटे भागो में बाटने के बाद भी चुम्बक का हर एक भाग एक पूर्ण चुम्बक की भाटी व्यवहार करता है अर्थात प्रत्येक चुम्बक में दो ध्रुव होंगे।
  5. यह चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करता है ।
  6. स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर चुम्बक सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ही ठहरता है ।
  7. चुम्बक के अन्दर प्रत्येक सिरे के निकट एक ऐसा बिन्दु पाया जाता है जहाँ चुम्बकत्व सर्वाधिक होता है; इसे चुम्बकीय ध्रुव कहते हैं ।
  8.  चुम्बक के दो ध्रुव उत्तरी ध्रुव (North Pole) व दक्षिणी ध्रुव (South Pole) होते हैं ।
  9. सजातीय ध्रवों में प्रतिकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों में आकर्षण होता है।

Magnet का अणुक सिद्धान्त

हम जानते हैं कि प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनाया जाता है जो अणु (Molecule) कहलाते हैं।

कुछ पदार्थो के अणु स्वतंत्र चुम्बक की भांति व्यवहार करते हैं। सामान्य अवस्था में ये अणु, पदार्थ में अनियमित रूप से बिखरे रहते हैं और वे एक-दूसरे के प्रभाव को उदासीन कर देते हैं।

लोहे की चुम्बकित तथा विचुम्बकित अवस्थाएँ अवस्था में पदार्थ में चुम्बकत्व नहीं होता। जब पदार्थ पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र कार्य करने लगता है तो उसके अणु-चुम्बक, चम्बकीय क्षेत्र की दिशा में व्यवस्थित होने लगते हैं। जब सभी अणु-चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में व्यवस्थित हो जाते हैं तो पदार्थ चुम्बक बन जाता है।

अणुओं में विद्यमान चुम्बकीय गुण, उसके परमाणुओं (Atoms) में विद्यमान इलैक्ट्रोन्स की कक्षीय गति तथा चक्रण गति (Orbital And Spin Motion) के कारण पैदा होता है। यही Magnet का अणुक सिद्धान्त कहलाता है।

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