बिजली हमारे घर तक कैसे पहुंचती है

हैलो दोस्तो आज के पोस्ट में हम पढेगे की बिजली (Electricity) हमारे घर तक कैसे पहुंचती है तो आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े।

पिछले पेज पर हमने Resistance की परिभाषा की जानकारी शेयर की थी तो उस आर्टिकल को भी पढ़े।

चलिए आज की इस पोस्ट में हम बिजली हमारे घर तक कैसे पहुंचती है की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

बिजली हमारे घर तक कैसे पहुंचती है

बिजली को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए या किसी चीज को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए सबसे जरूरी जो चीज है वह है स्पीड। तो करंट की स्पीड को हम लोग वोल्टेज कहते हैं या पोटेंशियल कहते हैं। 

और इसी को टेक्निकल भाषा में टेंशन कहते हैं। जब वोल्टेज हाई रहता है तब उसे हाई टेंशन कहते हैं। इसके लिए बड़े बड़े टावर होते हैं उस टावर से हम हाई वोल्टेज करेंट ले जाते हैं।

वोल्टेज पोटेंशियल किसी करेंट के स्पीड को दिखाता है जब 66 केवी से अधिक वोल्टेज का करेंट ले जाना होता है तो इसी टावर से ले जाते हैं।

ट्रांसमिशन टावर जो होता है उसको कभी कभी जमीन पर ही फिट करके हेलीकॉप्टर के द्वारा उठाकर पहाड़ियों पर ले जाकर लगा दिया जाता है।

ट्रांसमिशन टावर को ऐसे फिट करना आसान होता है मगर इसमें खर्च ज्यादा आता है, और ज्यादातर हमारे भारत में ट्रांसमिशन टावर को एक के बाद एक करके सेट किया जाता है।

बिजली का आविष्कार किसने किया और कब हुआ

इसके बाद ब्रिटेन के माइकल फैराडे ने सन्‌ 1831 में विद्युत चुम्बकीय प्रेरणा का आविष्कार करके बिजली उत्पन्न करने वाले एक जेनरेटर का निर्माण किया। विद्युत का वास्तविक रूप में उपयोग माइकल फैराडे के इसी आविष्कार के बाद से होना आरम्भ हुआ।

जेनरेटर चुम्बक और तार की कुंडलियो से बना होता है। जेनरेटर में आमतोर से एक चुम्बक होता है, जिसके ध्रुवो के बीच मे तार की एक कुंडली तेजी से घूमती है। इसी से तार की कुंडली मे बिजली उत्पन्न होती है।

जेनरेटर को चलाने के लिए ऊंचाई से गिरते पानी या भाप का इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में जेनरेटर पेट्रोल या डीजल वाले इंजन से भी चलाए जाते है। पानी से जेनरेटर चलाकर बिजली उत्पन्न करने के लिए बांधो ओर झरनों के पास बिजली घर बनाए जाते हैं।

गिरते पानी की धार से बडी-बडी टर्बाइनों के पहिए घुमाए जाते हैं। इन पहियो की सहायता से जनरेटर की तारो की कुंडली घूमती है, जिससे विद्युत उत्पन्न होती है। बिजली उत्पादन के लिए आजकल विशाल जेनरेटर प्रयुक्त होते हैं।

बिजली क्या है, इसे सरल रूप में यूं समझा जा सकता है। विश्व के सभी पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म-कणों के बने होते है। इन कणों को परमाणु कहा जाता है। परमाणु ओर भी नन्हे नन्हे कणों से मिलकर बना होता है। इन्हें इलेक्टॉन, न्यूट्रॉन, प्रोटॉन आदि कहते है।

इलेक्टॉन एक नाभिक (न्यूक्लियस) के इर्द-गिर्द कुछ निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते है। नाभिक प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है।

न्यूट्रॉन ओर प्रोटॉन तो अपने केंद्र में स्थित रहते है, परंतु चारों ओर घूमने वाले इलेक्टॉनों को जब तेजी से धक्का दिया जाता या ठेला जाता है, तो ये उछलकर एक से दूसरे परमाणु में जा पहुंचते हैं। बिजली की उत्पत्ति मे यही क्रिया होती है।

विद्युत-धारा किसी पदार्थ में से दोडते हुए इलेक्ट्रॉनो का ही परिणाम है। दो पदार्थों की घ॒र्षण क्रिया मे भी यही होता है। एक पदार्थ के इलेक्ट्रॉन रगड से उत्तेजित होकर दूसरे पदार्थ में पहुच जाते हैं।

वास्तव में इलेक्टॉनों पर ऋणात्मक आवेश होता है और इस आवेश की गतिशीलता ही विद्युत-धारा की जननी है। विद्युत धारा को दौडाने के लिए तांबे के तारों का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसमें होकर विद्युत-धारा तेजी से दौडाई जा सकती है।

तांबा विद्युत का एक अच्छा सुचालक है। लेकिन सुचालक पदार्थों के साथ कुचालक पदार्थों की भी आवश्यक्ता पडती है, क्योंकि सुचालक पदार्थ बिजली के लिए रास्ता बनाते हैं और कुचालक पदार्थ उस इधर-उधर बिखरने से रोकते हैं। तांबे के तार पर एक कुचालक पदार्थ की तह चढाई जाती है।

बिजली, बिजली घर से उत्पन्न होकर तारों द्वारा शहर के कारखानों और घरों में पहुंचती है। यहां मशीनों, बल्बो, अंगीठियो, रिफ्रिजिरेटरों, रेडियो आदि उपकरणों को चालू करने के लिए हमें केवल बटन दबाने भर की जरूरत पडती है। विद्युत-धारा से इन्हे शक्ति मिलती है और इनके कल-पुर्जे अपना-अपना कार्य शुरू कर देते हैं।

बिजली-धारा के मापन के लिए एम्पियर इकाई का उपयोग किया जाता है। इसे एमीटर कहते है। बिजली-विभवातर को मापने के लिए वाल्ट पमाने का उपयोग किया जाता है।

इस उपकरण को वोल्ट-मीटर कहते है। बिजली-व्यय का मापन के लिए वाटमीटर का प्रयोग होता है जो यह बताता है कि कितनी बिजली शक्ति काम में आई है।

बिजली कैसे बनती है

हमारे घरों में आने वाली बिजली का उत्पादन पावर प्लांट में किया जाता है।जिस पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन होता है वो पूरा क्षेत्र टेक्निकल भाषा में generation कहलाता है क्यूंकि उस क्षेत्र में बिजली का उत्पादन किया जाता है।

हमारे देश में बहुत सारी बिजली उत्पादन कंपनी या पावर प्लांट है। सभी power plant के बिजली को power grid से जोड़ा जाता है। पावर प्लांट द्वारा उत्पादित पावर का संचालन Power grid द्वारा किया जाता है।

उत्पादित सभी पावर प्लांट के पावर को Power grid से इसलिए जोड़ा जाता है क्यूंकि कभी कभी यदि किसी एक पावर प्लांट में खराबी आती है तब बिजली का सप्लाई बंद नहीं हो इसलिए Power grid मे बहुत सारे पावर प्लांट के बिजली का कनेक्शन रहता है ताकि एक पावर प्लांट खराब होने पर दूसरी पावर प्लांट से बिजली की सप्लाई होती रहे और load को balance करने के लिए भी पावर ग्रिड अति आवश्यक है।

बिजली पैदा करने के लिए एक electricity generator का इस्तेमाल किया जाता है। Electricity generator वो डिवाइस है जो ऊर्जा के एक रूप को बिजली में परिवर्तित करता है।

दुनिया मे कई तरह के electricity generator मौजूद हैं, लेकिन अधिकतर जनरेटर महान वैज्ञानिक Michael Faraday द्वारा 1831 में की गई खोज पर आधारित है।

Faraday के अनुसार जब एक चुम्बक (magnet) को wire की coil के भीतर हिलाया जाता है तो electric current उत्पन्न होता है और यह करंट wire में फ्लो करता है।

उन्होंने पहला electricity generator बनाया था जिसका नाम Faraday disk था। यह जनरेटर magnetism और electricity के बीच रिलेशनशिप पर काम करता है और इसी आधार पर आज सभी electromagnetic generator काम करते हैं।

बिजली बनाने के तरीके

हमें मिलने वाली बिजली को दो प्रकार के स्रोतों से प्राप्त किया जाता है।

  1. प्राइमरी स्त्रोत
  2. सेकंडरी स्त्रोत

1. प्राइमरी स्त्रोत

इन स्रोतों की लिस्ट में प्राकृतिक स्त्रोत शामिल हैं जैसे सूर्य की गर्मी और हवा। ऊर्जा के इन स्रोतों का इस्तेमाल सीमित रूप में किया जा सकता है क्योंकि इनसे निरंतर ऊर्जा प्राप्त कर पाना संभव नहीं है। प्राइमरी स्रोत में शामिल हैं। ये निम्नलिखित है।

  • Wind Power
  • Wind turbine
  • Solar Power

(i). Wind Power 

हवा से बिजली का निर्माण

विंड पावर यानी हवा की शक्ति के माध्यम से बिजली का निर्माण किया जाता है। बिजली बनाने की यह विधि काफी पॉपुलर और किफायती है। यह एक नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) स्त्रोत है और इसके इस्तेमाल से पर्यावरण पर जीवाश्म ईंधन की अपेक्षा बहुत कम दुष्प्रभाव पड़ता है।

(ii). Wind turbine

 जिसे पवन-चक्की भी बोला जाता है, बहुत ही साधारण सिद्धांत पर काम करता है। हवा टरबाइन के प्रोपेलर जैसे ब्लेड को घूमाती है जिससे rotor घूमता है और generator से बिजली उत्पन्न की जाती है।

इन्हें समुद्र, समुद्र के किनारे या पहाड़ी इलाकों में लगाया जाता है ताकि इन्हें नियमित रूप से हवा मिलती रहे और ये लगातार घूमते रहें। इन्हें 80 से 100 फीट तक की ऊँचाई पर सेट किया जाता है।

हवा चारों दिशाओं से बदल-बदल कर आती है इसलिए पवन-चक्की के ऊपरी भाग के पिछले हिस्से में anemometer लगा होता है जो हवा की दिशा को detect करता है और सभी पंखुड़ियों को हवा की दिशा में घुमा देता है।

इसलिए हवा चाहे किसी भी दिशा में चले पवन-चक्की चलती रहती है। इन्हें हर जगह लगाना संभव नहीं है और इनका maintenance का खर्चा भी अधिक होता है।

(iii). Solar Power

सौर ऊर्जा से बिजली का निर्माण

इस विधि में सूर्य से ऊर्जा प्राप्त की जाती है। सूर्य की रोशनी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत होता है जिसका इस्तेमाल कर हम अपने घरों में आसानी से बिजली प्राप्त कर सकते हैं।

इसके लिए घर की छत पर या खुले स्थान पर solar power plant स्थापित करने की आवश्यकता होती है। इसे लगाने का खर्च ज्यादा होता है लेकिन एक बार लगाने के बाद यह आपकी बिजली खपत को काफी कम कर देता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात, यह आपकी electric grid पर निर्भरता को कम कर देता है. यानी बिजली supply ना होने पर emergency के हालात में आप आसानी से बिजली प्राप्त कर सकते हैं।

इसके इस्तेमाल में किसी भी प्रकार का जल या वायु प्रदूषण नहीं फैलता। बिजली की पर्याप्त उपलब्धता के साथ-साथ यह आपके जेब खर्च को भी कम कर देता है।

2. सेकंडरी स्त्रोत

 पानी और जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के सेकंडरी स्रोत हैं. हमें मिलने वाली बिजली लगभग इन्ही स्रोतों से प्राप्त होती है।

भारत में बड़े स्तर पर इन स्त्रोतों से बिजली प्राप्त की जा रही है। बिजली उत्पादन के सेकंड्री स्रोतों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जो कुछ इस प्रकार हैं।

  • (a) Thermal Power
  • (b) Hydro Power
  • (c) Diesel Power
  • (d) Nuclear Power

(a). Thermal Power

थर्मल पॉवर से बिजली का निर्माण

थर्मल पावर के जरिए electricity generate करने के तीन तरीके हैं।

(i). Pulverized Coal-Fired Power Generation :- Pulverized (चूर्णित) Coal-Fired Power Generation मुख्य तरीका है कोयले के जरिए electricity उत्पन्न करने का।

इस विधि में कोयले को बिल्कुल बारीक powder में पीस लिया जाता है और इसे boiler में जलाया जाता है। अब boiler में उत्पन्न हुई ऊष्मा (heat) पानी को भाप में बदल देती है. अब भाप का प्रेशर steam turbine को घुमाता है और generator बिजली पैदा करता है।

(ii). Combined Cycle Power Generation :- एक combined cycle power में पहले compressed air में ईंधन जलाकर गैस उत्पन्न की जाती है. गैस का दबाव gas turbine को घुमाता है और generator electricity पैदा करता है।

इसके अलावा, gas turbine से निकली ऊष्मा (heat) का इस्तेमाल भाप पैदा करने के लिए किया जाता है जो turbine को rotate करती है.

(iii). Integrated Coal Gasification Combined Cycle (IGCC) :- IGCC, Gasification के अंदर कोयले और दूसरे कार्बन आधारित ईंधन को गैस में बदलता है. अब इस gasified fuel को compressed air में जलाकर pressurized gas उत्पन्न की जाती है।

गैस दबाव gas turbine को घुमाता है और बिजली उत्पन्न होती है. इसके अलावा निकलने वाली गैस हीट का इस्तेमाल कर पानी को उबाला जाता है और भाप पैदा की जाती है जिसका इस्तेमाल भी बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है.

(b). Hydro Power

पानी से बिजली का निर्माण

इस विधि में बरसात या बर्फ के पानी को किसी ऊँचे स्थान पर बांध बनाकर इकट्ठा किया जाता है और फिर पानी को ऊँचाई से नीचे गिराया जाता है और turbine को घुमाया जाता है। Turbine के घूमने पर generator चलता है और बनना शुरू हो जाती है।

Hydro Electric Power Plant में हमेशा पानी की जरूरत पड़ती है इसलिए इसे बनाना काफी महंगा होता है. लेकिन कार्यकारी कीमत काफी कम होती है।

इस तकनीक में पानी की मात्रा कम होने पर भी यह काफी प्रभावी है। Turbine के लिए इस्तेमाल होने के बाद नीचे गिरने वाले पानी का उपयोग खेतों में सिंचाई के लिए किया जाता है।

ये plant बहुत ही साधारण संरचना में होते हैं, इसलिए देखभाल की आवश्यकता काफी कम होती है. इस विधि से मिलने वाली बिजली काफी सस्ती होती है।

(c). Diesel Power 

डीजल से बिजली का निर्माण

इस विधि में alternator को घुमाने के लिए डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जाता है और बिजली उत्पन्न की जाती है. इसमें डीजल इंजन का इस्तेमाल मुख्य चालक के तौर पर होता है और इस तरह के power plant को diesel power plant के नाम से जाना जाता है।

डीजल के जलने पर Rotational Energy (घूर्णी ऊर्जा) उत्पन्न होती है. डीजल इंजन की उसी shaft के साथ alternator/generator जुड़ा होता है जो डीजल इंजन की rotational energy को electrical energy में बदल देता है।

डीजल इंजन पावर प्लांट का इस्तेमाल उन जगहों के लिए किया जाता है बहुत कम बिजली की आवश्यकता होती है। ईंधन महंगा होने की वजह से बिजली उत्पादन की यह विधि काफी महंगी होती है।

(e). Nuclear Power 

 परमाणु ऊर्जा से बिजली का निर्माण

इस विधि में ईंधन के रूप में यूरेनियम पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें परमाणु के विखंडन के जरिए ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है. न्यूक्लियर पावर के जरिए बिजली उत्पादन के दो प्रकार हैं:

  • Boiling Water Reactor (BWR)
  • Pressurized Water Reactor (PWR)

(i). Boiling Water Reactor (BWR) :- इस विधि में परमाणु विखंडन के जरिए reactor core में हीट उत्पन्न की जाती है, फिर पानी उबलता है और भाप पैदा की जाती है।

भाप का इस्तेमाल turbine को घुमाने के लिए किया जाता है और फिर बिजली उत्पन्न की जाती है इसके बाद भाप को समुद्री पानी के साथ ठंडा किया जाता है और तरल पानी में बदल दिया जाता है अब इस पानी को दोबारा reactor में भेज दिया जाता है।

(ii). Pressurized Water Reactor (PWR) :- इसमें BWR की तरह परमाणु विखंडन के जरिए reactor core में हीट उत्पन्न की जाती है, लेकिन heated water को उबालने से पहले उच्च प्रेशर के साथ दबा दिया जाता है. उच्च तापमान और दबाव के साथ इस पानी को steam generator में भेजा जाता है।

और पानी को उबालकर भाप पैदा की जाती है. इस भाप की मदद से turbine को घूमाया जाता है और बिजली तैयार की जाती है. इसके बाद इस भाप को समुद्री पानी द्वारा condenser में ठंडा किया जाता है और दोबारा पानी में बदल कर steam turbine में वापस भेज दिया जाता हैं

Power Grid क्या है?

कई पावर प्लांट द्वारा उत्पादित बिजली power grid नेटवर्क से जुडी होती है । Power grid नेटवर्क power plant , transmission line और consumer distribution lines से मिलकर बनी बिजली नेटवर्क होती है। जहां से बिजली का नियंत्रण किया जाता है।

राज्य की सभी पावर प्लांट द्वारा उत्पादित बिजली जिस ग्रिड मे जाति है उसे state power grid कहा जाता है और इसी तरह सभी state power grid मिलकर रीजनल पावर ग्रिड या national power grid बनती है।

इन ग्रिड से transmission लाइन द्वारा 400 KV हाई voltage पावर को substation तक पहुंचाया जाता है और फिर इस substation द्वारा 400KV हाई voltage पावर को step down transformer द्वारा 33 KV मे परिवर्तित कर बिजली वितरण कंपनियों को पावर दिया जाता है जिसे Distribution लाइन भी कहा जाता है।

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