इस पेज पर आज हम डायोड की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।
पिछले पेज पर हमने Resistance की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े।
चलिए इस पेज पर हम डायोड की परिभाषा, प्रकार एवं कार्य की जानकारी को पढ़ते और समझते हैं।
डायोड क्या हैं
Diode एक ऐसा Electronic Component होता है जो Current को सिर्फ एक दिशा में Flow होने की अनुमति देता हैं।
Diode में दो तरह के Electrode होते हैं।
- Anode
- Cathode
Diode में जो सिल्वर कलर की लाइन होती है वह cathode होती हैं और दूसरी तरफ anode होता हैं।

जब डायोड के कैथोड टर्मिनल को नेगेटिव वोल्टेज और एनोड को पॉजिटिव वोल्टेज से जोड़ा जाता हैं तो करंट बहने लगता हैं इसे फोरवर्ड बायसिंग कहते हैं।
डायोड के प्रकार
डायोड कितने प्रकार के होते हैं
- Zener Diode
- Light Emitting Diode (LED)
- Constant Current Diodes
- Schottky Diode
- Shockley Diode
- Photodiode
- Tunnel Diode
- Varactor Diode
- Laser Diode
- Gunn Diode
- Pin Diode
1. Zener Diode
Zener Diode साधारण Diode की तरह ही होता है। और Zener Diode साधारण डायोड की तरह current को एक ही दिशा में जाने देता हैं।
लेकिन जब वोल्टेज Breakdown Voltage से ज्यादा हो जाता है तो यह Current को उल्टी दिशा (Reverse Direction) में भी जाने देता है।

2. Light Emitting Diode (LED)
यह Semiconductor Device होती हैं जो Electrical Energy को Light Energy में बदलने का काम करती हैं।
जब इसे वोल्टेज Supply के साथ में जोड़ा जाता है तो Electroluminescence क्रिया के कारण Holes और Electrons आपस में दोबारा जुड़कर लाइट की फॉर्म में एनर्जी बनाते हैं। यह Diode Forward Bias स्थिति पर काम करता हैं।
पहले लाइट एमिटिंग Diode का उपयोग इंडक्टर लैंप मैं किया जाता था लेकिन आज इसका उपयोग बड़े स्तर पर होता हैं। इसे ट्रैफिक सिग्नल कैमरा फ्लैश इत्यादि के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं।

3. Constant Current Diodes
बहुत से डायोड वोल्टेज पर काम करता है लेकिन कांस्टेंट करंट डायोड करंट को कंट्रोल करता हैं यह करंट को कुछ हद तक ही आगे जाने देता है और बाकि के करंट को यह रोक देता है
मतलब यह बहुत ही कम करंट को ही आगे जाने देता हैं। इसीलिए इसे कांस्टेंट करंट डायोड कहा जाता हैं।

4. Schottky Diode
Schottky Diode सेमीकंडक्टर मटेरियल और धातु के Junction से बना होता हैं। स्कॉटकी डायोड में कम वोल्टेज ड्रॉप होती हैं यह बहुत तेज Switching का कार्य करती हैं।

5. Shockley Diode
Shockley Diode पहला PNPN लेयर वाला सेमीकंडक्टर डायोड था। इसका आविष्कार 1950 में विलियम शॉकली ने किया था इसलिए इसका नाम William Shockley रखा गया था।

6. Photodiode
Photo Diode एक Reverse Bias Diode होता हैं। Photo Diode सभी Diode की तरह Normal Condition में Current को Flow नही होने देता हैं।
जब इस पर कोई light पड़ती हैं, तो फिर यह Current को Flow होने देता हैं। यह एक तरह का light detector होता है। फोटो डायोड लाइट एमिटिंग डायोड से बिल्कुल उल्टा कार्य करता हैं।

ऊपर आप सिंबल भी देख सकते हैं कि यह लाइट एमिटिंग डायोड से थोड़ा सा ही अलग हैं इसमें जो तीर के निशान देख रहे हैं वह अंदर की तरफ आ रहे हैं वहीं लाइट एमिटिंग डायोड में यह तीर बाहर की तरफ होते हैं।
7. Tunnel Diode
टनल डायोड का उपयोग बहुत तेजी से स्विच करने के लिए किया जाता हैं जहां पर कार्य नैनो सेकंड में करवाना होता हैं वहां पर टनल डायोड का उपयोग किया जाता हैं।
इस Diode का अविष्कार अगस्त 1957 में Leo Esaki द्वारा किया गया था इसीलिए इसको Esaki डायोड भी कहते हैं।

8. Varactor Diode
वैरेक्टर डायोड Variable Capacitor की तरह काम करता हैं। और यह डायोड Reverse Bias स्थिति में कार्य करते हैं यह डायोड किसी सर्किट में स्थिर वोल्टेज के कारण उस सर्किट का Capacitance काफी अधिक वैल्यू तक बदल सकते हैं
इसका उपयोग बहुत सारे उपकरणों में किया जाता हैं जैसे – सेल फ़ोन, सैटेलाइट, प्री-फिल्टर्स आदि में Voltage Control Oscillator के रूप में किया जाता हैं।

9. Laser Diode
Laser Diode एक Optoelectronic डिवाइस हैं लेजर डायोड को LD और Injection Laser Diode के नाम से भी जाना जाता हैं। यह लाइट एमिटिंग डायोड की तरह ही काम करती हैं लेकिन इसमें लाइट की जगह एक लेजर बीम बनती हैं।
Laser Diode का इस्तेमाल Fiber Optic Communications, Barcode Readers, Laser Pointers, CD/DVD/Blu-Ray Disc Reading/Recording, Laser Printing, Laser Scanning और Light-Beam Illumination के लिए किया जाता हैं

10. Gunn Diode
इस Diode में P और N दोनों का जंक्शन नहीं होता हैं सिर्फ N Region ही होता हैं। इसके कारण सर्किट में जब वोल्टेज बढ़ता हैं तब करंट भी बढ़ता हैं। और एक लिमिट तक वोल्टेज और करंट बढ़ जाता हैं और फिर कम हो जाता हैं।
इस में डायोड ज्यादा गरम न हो इसीलिए, मेटल प्लेट के निचे हीट सिंक लगा रहता हैं।

11. Pin Diode
इस प्रकार के डायोड की एक खासियत है की इसमें तीन लेयर रहते है।
P N Junction के बीच मे भी एक लेयर रहता है। जिसमे किसी भी प्रकार का चार्ज नहीं होता हैं। P और N के बीच मे लेयर होने से Depletion लेयर का एरिया बढ़ जाता हैं।
इस प्रकार का Diode का इस्तेमाल फोटो डिटेक्टर, RF Switches और नॉइज़ Oscillator में किया जाता हैं।
डायोड के कार्य
आइए जानते हैं डायोड का क्या काम होता हैं।
1. Rectification
रेक्टिफायर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती हैं जो की एसी करंट (AC current) को डीसी करंट (DC current) में बदलने का काम करती हैं।
जहां पर भी हमें एसी (AC) से डीसी (DC) voltage बदलनी पड़ती है वहां पर रेक्टिफायर का उपयोग किया जाता हैं।
रेक्टिफायर के प्रकार
- Half Wave Rectifier (अर्द्ध तरंग दिष्टकारी)
- Full Wave Rectifier (पूर्ण तरंग दिष्टकारी)
- Bridge Rectifier (सेतु दिष्टकारी)
- Three Phase Rectifier (तीन फेज दिष्टकारी)
1. Half Wave Rectifier
यह रेक्टिफायर AC सप्लाई के सिर्फ Half Cycle को ही रेक्टिफायर कर पाता हैं। इस रेक्टिफायर में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किया जाता हैं जिन्हें Diode के साथ में जोड़ दिया जाता हैं।
2. Full Wave Rectifier
फुल वेव रेक्टिफायर Input वोल्टेज Waveform के Positive और Negative दोनों Cycles को रेक्टिफायर करता हैं। इस रेक्टिफायर की आउटपुट Half Wave Rectifier से कहीं ज्यादा होती हैं।
3. Bridge rectifier
Bridge Rectifier ऐसा रेक्टिफायर होता है जो AC करंट को DC करंट में बदल देता हैं।
4. Three Phase Rectifier
Three phase की AC supply को DC Supply में बदलने के लिए Three Phase Rectifier का उपयोग किया जाता हैं।
डायोड के उपयोग
आइए जानते हैं डायोड का क्या उपयोग हैं।
- Alternate Current(AC) को Direct Current(DC) में बदलने के लिए डायोड का उपयोग किया जाता हैं।
- तापमान को मापने के लिए डायोड का उपयोग किया जाता हैं।
- Radio Demodulation में भी डायोड का उपयोग किया जाता हैं।
- सर्किट में करंट को मोड़ने के लिए डायोड का उपयोग किया जाता हैं।
- ओवर वोल्टेज प्रोटेक्शन के लिए डायोड का उपयोग किया जाता हैं।
- Voltage Regulator और Signal Mixing में डायोड का उपयोग किया जाता हैं।
डायोड को कैसे चेक करते हैं
Diode को मल्टीमीटर से कैसे चेक करते हैं आइए जानते हैं।
Step1. सबसे पहले इस बात का याद रखे की Diode जिस circuit में लगा हैं उसकी Power Supply Off हो और Diode के दोनों Terminal में किसी तरह का Voltage न हो।
अगर Circuit में Voltage किसी Charged Capacitor के कारण हो रहा हैं तो पहले Capacitor को Discharge कर लें।
step2. अब Multimeter को डायोड मोड में Select कर लें।
step3. अब multimeter के Positive (Red) Prob को Diode के Anode से और Negative (Black) Prob को Diode के Cathode से जोड़ना होता हैं। तो Diode forward bias स्थिति में होता हैं।
अगर Diode, Silicon Diode हैं तो multimeter में 0.5 से 0.8 Volts के बीच Reading दिखायेगा।
अगर Diode, Germanium Diode हैं तो multimeter की reading 0.2 से 0.3 Volt के बीच रीडिंग दिखायेगा।
Step4. अब Multimeter की Prob को आपस में बदलना होता हैं मतलब Positive (Red) Prob को Cathode से और Negative (Black) Prob को Anode से जोड़ना होता हैं। तो Diode Reverse Bias स्थिति में होता हैं। और अगर Diode ठीक हैं तो मल्टीमीटर की Display में OL दिखायेगा।
यदि Diode Short (ख़राब) है तो Reverse और Forward दोनों स्थिति में मल्टीमीटर की Reading 0 से 0.4 Volt के बीच आएगी।
यदि Diode Open (ख़राब) है तो Reverse और Forward दोनों स्थिति में मल्टीमीटर की Reading OL आएगी।
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