Charging and Discharging of Batteries in Hindi

हैलो दोस्तो आज के पोस्ट में हम बैटरियों को चार्ज तथा डिस्चार्ज करने की विधीयाँ Charging and Discharging of Batteries के वारे में पढेगे तो आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े।

पिछले पेज पर हमने Active और Passive Component की जानकारी शेयर की थी तो उस आर्टिकल को भी पढ़े।

चलिए आज की इस पोस्ट में हम Charging and Discharging of Batteries in Hindi की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

बैटरी चार्ज और डिस्चार्ज (Charging and Discharging of Batteries)

इनका उपयोग क्षेत्र बहुत विस्तृत है। जहाँ-जहाँ द्वितीयक बैटरी है, वहाँ-वहाँ बैटरी-आवेशक है। कार आदि गाड़ियों के बैटरी आवेशक, लैपटॉप के आवेशक, सेल फोन के आवेशक, तथा यूपीएस के आवेशक कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।

किसी भी बैटरी को चार्ज करने हेतु उसमें धारा प्रवाहित करनी पड़ती है जिसकी दिशा ऐसी हो कि बैटरी के धनाग्र (पॉजिटिव एलेक्ट्रोड) में घुसकर उसके ऋणाग्र से निकले।

धारा की मात्रा और अन्य बातें चार्ज की जाने वाली बैटरी या सेल की प्रकृति पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिये ट्रक की बैटरी को आवेशित करने हेतु २० एम्पीयर धारा दी जा सकती है जबकि किसी पेंसिल सेल को चार्ज करने के लिये एक अम्पीयर से भी कम धारा चाहिये।

बैटरी आवेशक के विद्युत परिपथ में अन्य बातों के अलावा एक एसी से डीसी करने वाला दिष्टकारी (रेक्टिफायर) तथा बैटरी में जाने वाली धारा को उचित मान पर बनाये रखने वाला धारा नियंत्रक होता है।

बैटरी चार्जर भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। कम शक्ति के आवेशकों में आजकल एसएमपीएस (जैसे फॉरवर्ड कन्वर्टर) पर आधारित परिपथ प्रयोग किया जाता है जिससे इनका आकार अपेक्षाकृत बहुत छोटा होता है।

बैटरी चार्जिंग की विधियां

बैटरी को चार्ज करने की प्रचलित विधियां निम्नलिखित है।

  • स्थित धारा चार्जिंग विधि (Constant current charging)
  • स्थिर वोल्टेज चार्जिंग विधि (Constant voltage charging)
  • बैटरी चार्जर विधि (Battery charger method)
  • ट्रिकल चार्जिंग विधि (Trickle charge method)
  • बूस्ट चार्जिंग विधि (Boost Charging method)
  • प्रारंभिक चार्जिंग विधि (Initial charging)
  • फ्रेश चार्जिंग विधि (Fresh charging method)

1. स्थित धारा चार्जिंग विधि (Constant Current Charging Method)

स्थिर धारा चार्जिंग विधि में बैटरी के साथ सीरीज में हीटर/लैंप या प्रतिरोध लगाया जाता है जिससे लैंप की धारा पूरा परिपथ में प्रवाहित होने लगती है जिससे हमारी बैटरी चार्ज हो जाती है।

इस चार्जिंग का उपयोग तब किया जाता है, जब हमारे पास चार्जिंग स्रोत बड़ा हो जैसे 230V/110V और बैटरी छोटे वोल्ट की हो जैसे 6V, 12V, 24V आदि।

अधिक बैटरी सीरीज में जोड़कर चार्ज करना हो तो इस विधि का प्रयोग करते है।

2. स्थिर वोल्टेज चार्जिंग विधि (Constant Voltage Charging Method)

स्थिर वोल्टेज चार्जिंग विधि में बैटरी के सीरीज में एक रेहोस्टेट लगा देते है।

इस विधि में लगभग बराबर वोल्टेज के अनुसार चार्ज करते है, करंट कम या ज्यादा होती रहती है।

जैसे– यदि 12V की बैटरी चार्ज करनी है तो 15V का चार्जिंग स्रोत होगा।

3. बैटरी चार्जर विधि (Battery Charger Method)

इसके ब्रिज रेक्टिफायर का प्रयोग किया जाता है, जिससे एसी सप्लाई को डीसी में परिवर्तित करके बैटरी को चार्ज किया जाता है। जैसे –मोबाइल चार्जर

4. ट्रिकल चार्जिंग विधि (Trickle Charge Method)

ट्रिकल चार्जिंग में बैटरी को अति निम्न धारा दर पर चार्ज किया जाता है, यानी की उसकी रेटेड करेंट की 2% से 3% धारा पर चार्ज किया जाता है। सामान्यतः इस विधि का उपयोग तब किया जाता है जब बैटरी में सलफेशन दोष हो।

5. बूस्ट चार्जिंग विधि (Boost Charging Method)

बूस्ट या वर्धन चार्जिंग विधि में बैटरी को अति उच्च धारा दर पर चार्ज किया जाता है। सामान्यतः इस विधि का उपयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि इस विधि से चार्जिंग करने पर बैटरी में बकलिंग दोष आ जाता है।

6. प्रारंभिक चार्जिंग विधि (Initial Charging)

पॉजिटिव और निगेटिव इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट के डालने के बाद प्रथम बार जब बैटरी को चार्ज किया जाता है तो इसे प्रारंभिक चार्जिंग विधि कहते है।

7. फ्रेश चार्जिंग विधि (Fresh Charging Method)

एक बैटरी को जैसे ही लोड के साथ संयोजित किया अगर बैटरी पूर्ण आवेश के साथ वोल्टेज प्रदान कर रही है, और इस समय बैटरी को चार्ज किया जाता है तो इस विधि को फ्रेश चार्जिंग विधि कहते है।

बैटरी परीक्षक

बैटरी पैक चार्जिंग और डिस्चार्जिंग क्षमता परीक्षण उपकरण में उच्च शक्ति, छोटे आकार, हल्के वजन, दोस्ताना और उपयोगकर्ता के अनुकूल मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन इंटरफ़ेस है।

जो दैनिक बैटरी परीक्षण और रखरखाव के कार्यभार को कम करता है, और इसके लिए एक अच्छा सहायक है बैटरी रखरखाव।

बैटरी परीक्षक की निर्वहन परीक्षण प्रक्रिया :

(1). बैटरी को पहले पूरी तरह से चार्ज करें।

(2). इलेक्ट्रोलाइट विशिष्ट गुरुत्व को 1.215 ~ 1.2200 से समायोजित किया जाता है

(3). इलेक्ट्रोलाइट का तापमान 10 ℃ से कम और 30 ℃ से अधिक नहीं होना चाहिए।

(4). प्रत्येक सेल के वोल्टेज, विशिष्ट गुरुत्व, तापमान, बैटरी पैक के कुल वोल्टेज और इनडोर तापमान को मापें।

(5). डिस्चार्ज करंट वैल्यू को मॉनिटर और एडजस्ट करने के लिए डिस्चार्ज रेजिस्टेंस स्विच को ऑन करें।

(6). प्रत्येक घंटे के बाद, प्रत्येक बैटरी की वोल्टेज, विशिष्ट गुरुत्व, तापमान, कुल वोल्टेज और डिस्चार्ज करंट की जाँच और माप करें।

बैटरी परीक्षक के निर्वहन परीक्षण के दौरान निर्वहन वोल्टेज की निगरानी

बैटरी के अत्यधिक निर्वहन को रोकने के लिए, निर्वहन परीक्षण के दौरान बैटरी की सीमा वोल्टेज की निगरानी के लिए विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

इसलिए, निर्वहन परीक्षण के दौरान, प्रत्येक बैटरी के स्विस वोल्टेज को लगातार मापा जाना चाहिए, और यह अपने सीमा मूल्य से कम नहीं होना चाहिए।

यदि केवल प्रत्येक बैटरी के टर्मिनल वोल्टेज को मापा जाता है, तो यह एक लंबा समय लगेगा, और जब निर्वहन का अंत आ रहा है, तो वोल्टेज जल्दी से गिर जाता है, जिससे अत्यधिक निर्वहन होने की संभावना है।

इसलिए, डिस्चार्ज टेस्ट में, एक एकल वोल्टेज को मापने के अलावा, बैटरी के अत्यधिक निर्वहन को रोकने के लिए बैटरी पैक के कुल वोल्टेज की निगरानी भी की जानी चाहिए।

बैटरी पैक के कुल वोल्टेज की निगरानी के लिए, पहले प्रत्येक बैटरी के निर्वहन सीमा वोल्टेज मान के अनुसार बैटरी पैक की कुल निर्वहन सीमा वोल्टेज की गणना करें, और फिर निर्वहन वोल्टेज मीटर पर गणना की गई कुल वोल्टेज मान को चिह्नित करें।

दूसरे शब्दों में, अगर बैटरी पैक में 55 सेल हैं, तो कुल डिस्चार्ज लिमिट वोल्टेज 1.8 * 55=99 वोल्ट है। इसलिए, डिस्चार्ज वाल्टमीटर के “वोल्ट” निशान पर एक लाल रेखा खींचना आवश्यक है।

जब कुल वोल्टेज लाल रेखा के करीब आ जाता है, तो इसका मतलब है कि प्रत्येक बैटरी का वोल्टेज सीमा वोल्टेज मान पर गिर गया है, या व्यक्तिगत बैटरी का वोल्टेज सीमा मूल्य से नीचे गिर गया है। डिस्चार्ज को तुरंत रोकें।

बैटरी पैक को डिस्चार्ज करने की प्रक्रिया में, जब अधिकांश एकल कोशिकाओं का वोल्टेज सीमा मूल्य तक नहीं पहुंचा है, और व्यक्तिगत बैटरी का वोल्टेज सीमा मूल्य से नीचे गिर गया है, तो निर्वहन तुरंत बंद हो जाना चाहिए।

अन्यथा, यह बैटरी को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा जिसका वोल्टेज समय से पहले सीमा मूल्य से कम है। इसलिए, निर्वहन करते समय, कुल वोल्टेज की निगरानी की जानी चाहिए, और प्रत्येक बैटरी के टर्मिनल वोल्टेज को उसी समय मापा जाना चाहिए। दोनों का आपस में घनिष्ठ मेल होना चाहिए।

बैटरी चार्ज करते समय पूर्व विधान

जब भी हमें बैटरी को चार्ज करना हो तो उसे चार्ज करने से पूर्व हमे कुछ विधान लेने पड़ते हैं। जो निम्नलिखित प्रकार हैं।

  1. विद्युत सप्लाई के टर्मिनल- (धनात्मक व ऋणात्मक) को बैटरी के समान टर्मिनल (धनात्मक व ऋणात्मक) से जोडना चाहिए। जैसे सप्लाई का धनात्मक बैटरी के धनात्मक से और सप्लाई का ऋणात्मक बैटरी के ऋणात्मक से जोड़ना चाहिए। 
  2. प्लेट को अच्छी तरह से विद्युत अपघट्य द्वारा ढकना चाहिए।
  3.  जब की हम बैटरी को चार्ज करें तो उसके निकास प्लग कवर को हटा देना चाहिए।
  4. कमरा पूरी तरह से संवाहित (Ventilated) होना चाहिए ।
  5.  बैटरी को बहुत लम्बे समय तक बेकार नहीं रखना चाहिए ।
  6. बैटरी के टर्मिनल को अच्छी तरह साफ कर-कर उसमें ग्रीस लगा देनी चाहिए।
  7. जब की बैटरी को चार्ज या डिस्चार्ज करना हो तो अधिक दर पर नहीं करना चाहिए।
  8. हमें किसी भी संचालक सैल (बैटरी) के पास जलती हुई ज्वाला नहीं लानी चाहिये ।
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