हेलो दोस्तो, इस आर्टिकल में हम आपको बतायेगे की Capacitor क्या होता हैं यह कैसे काम करता हैं इस पेज पर आपको कैपेसिटर की समस्त जानकारी मिल जाएगी तो आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।
पिछले पेज पर हमने डायोड की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े। चलिए आज हम Capacitor की परिभाषा, प्रकार, कार्य और विशेषताएँ की जानकारी पढ़ते हैं।
Capacitor क्या हैं
Capacitor ऐसे Passive Electrical Components होते हैं जो Electric Energy को Store करते हैं। कैपेसिटर को पहले Conductor भी कहा जाता था। Capacitor Electrical Conductors से बने होते हैं और Insulator के द्वारा Separated होते हैं।
Symbol
Capacitor की परिभाषा
Capacitor एक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट हैं जिसमें इलेक्ट्रिक चार्ज स्टोर हो जाता हैं। कैपेसिटर दो कंडक्टर दो प्लेटों से बना होता हैं। और इन दोनों प्लेटों के बीच में डाई इलेक्ट्रिक मटेरियल लगाया जाता हैं जिससे यह अलग हो जाते हैं।
जब कैपेसिटर को किसी पावर सोर्स के साथ में जोड़ दिया जाता हैं तो यह इलेक्ट्रिक चार्ज को स्टोर कर लेता हैं और इसके अंदर लगी हुई दोनों प्लेट यह चार्ज स्टोर करने का काम करती हैं जिसमें से एक प्लेट पर पॉजिटिव चार्ज होता हैं और दूसरी प्लेट पर नेगेटिव चार्ज होता हैं।
Capacitor का S.I मात्रक फैराडे (Farad) होती हैं इसे F से दर्शाते हैं।
कैपेसिटर बहुत ही Common Element होता हैं Electrical या Electronics Circuits के लिए उदाहरण के लिए इनका उपयोग AC Current को केवल Allow करने के लिए किया जाता हैं और DC करंट को Block करने के लिए किया जाता हैं और कुछ जगहों में एक स्मूथ पावर सप्लाई आउटपुट के लिए इस्तेमाल होता हैं।
कैपेसिटर के प्रकार
कैपेसिटर के बहुत से प्रकार होते हैं। आइये आगे पढ़ते हैं।
1. Ceramic capacitor
Ceramic कैपेसिटर Non Polarized होते हैं। इनका इस्तेमाल ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक के सर्किट में किया जाता हैं। वो Audio हो या फिर RF इनकी Values की Range Picofarads से 0.1 microfarads तक होती हैं।
सिरेमिक कैपेसिटर Cheap और Reliable होते हैं, साथ में इनका Loss Factor बहुत Low होता हैं। यह कैपेसिटर बहुत ही छोटे आकार के होते हैं।
2. Electrolytic capacitor
Electrolytic कैपेसिटर Polarized होते हैं। ये बहुत ही ज्यादा High Capacitance Values Offer कर सकते हैं इनकी Range 1μF तक होती हैं और ये अक्सर Low Frequency Applications में ज्यादा इस्तमाल किये जाते हैं जैसे की Power Supplies, Decoupling और Audio Coupling Applications, इनकी Frequency Limit 100 KHz तक होती हैं।
3. Tantalum Capacitor
Electrolytic Capacitors के तरह ही Tantalum Capacitors भी Polarized होते हैं और बहुत ही ज्यादा High Capacitance Level प्रदान करते हैं उनके volume में लेकिन इस प्रकार के Capacitor बिल्कुल ही Intolerant होते हैं Reverse Biased के प्रति और Explode हो जाते हैं।
साथ ही इन्हें ज्यादा रिप्पल करंट और वोल्टेज में भी इस्तमाल नहीं करना चाहिए ये दोनों Leaded और Surface Mount Formats में Available होते हैं।
4. Silver Mica Capacitor
Silver Mica Capacitors का अब ज्यादा उपयोग नहीं होता हैं लेकिन ये बहुत High Levels की Stability, Low Loss और Accuracy प्रदान करती हैं।
इनका उपयोग Primary RF Applications में किया जाता हैं और इनकी अधिकतम लिमिट 1000 pF तक ही होती हैं।
5. Polystyrene Film Capacitor
Polystyrene Film Capacitors बहुत ही Cheap form के होते हैं Capacitor के लेकिन Close Tolerance Capacitor Offer करते हैं जब उनकी जरुरत पड़े तब ये Tubular आकार के होते हैं जहाँ पर Dielectric को दोनों Plates के बीच Sandwich का Roll किया जाता है।
लेकिन इससे उनमें Inductance की Frequency Response को limit करने की क्षमता कुछ 100 kHz तक आ जाती हैं Leaded Electronics Components में ये Available होते हैं।
6. Polyester Film Capacitor
Polyester film capacitors को वहां इस्तमाल किया जाता हैं जहाँ की Cost को बहुत ज्यादा ध्यान जाता हैं क्योंकि ये बहुत ज्यादा High Tolerance Offer नहीं करते हैं।
बहुत से polyester film capacitors की सहनशीलता मान 5% या 10% होती हैं ज्यादातर applications के लिए ये बहुत ही Adequate होती हैं। Leaded Electronics Components के तोर पर ये केवल Available होते हैं।
7. Glass Capacitors
Glass Capacitor में Dielectric के रूप में Glass का इस्तेमाल होता हैं। ये कैपेसिटर महंगे होते हैं, फिर भी ये कैपेसिटर बहुत कम नुकसान में उच्च स्तर का प्रदर्शन करते हैं और बहुत से Performance RF Applications के लिए दुसरे Features इन्हें Ideal बनाते हैं। High RF Current Capability, no Piezo-Electric Noise।
8. Supercap
Super Capacitor को Ultracapacitor भी कहा जाता हैं Super Capacitors की capacitance value कई हजार फैरड तक हो सकती हैं इनको Memory Hold-Up सप्लाई और Automotive applications में ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता हैं।
9. Paper Capacitor
पेपर कैपेसिटर में पेपर डाई इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल किया जाता हैं और यह पेपर मोम या तेल में डूबा होता हैं। इन कैपेसिटर की परत बारीक एल्मुनियम या टिन की होती हैं।
पेपर कैपेसिटर में दो परत TIN Foil और दो परत पेपर की होती हैं और इनको एक दूसरे के ऊपर रखा जाता हैं और इन को आपस में लपेटकर इन पर मोम डाला जाता हैं और इनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा रेडियो-टीवी इत्यादि में किया जाता हैं।
पेपर कैपेसिटर की कैपेसिटेंस रेंज 0.001 से 2.000 माइक्रो फैराड तक होती है और वोल्टेज बहुत अधिक होता है जो 2000V तक होता हैं।
कैपेसिटर की बनाबट
कैपेसिटर में दो Conductor Plates होती हैं जिनके बीच में एक Insulator Material रख दिया जाता हैं इस मटेरियल को Dielectric Material कहते हैं।
कैपेसिटर के लिए Dielectric Material Paper, Plastic, Glass, Rubber कुछ भी हो सकता हैं दोनों Conductors को Metal की पतली रॉड से जोड़ा जाता हैं।
अब दो धातुओं की प्लेट को एक दूसरे के समानांतर दूरी पर रखा जाता हैं। अगर कैपेसिटर के साथ में पावर सोर्स को जोड़ा जाता हैं कैपेसिटर की पॉजिटिव टर्मिनल पर पावर सोर्स का पॉजिटिव टर्मिनल जोड़ दिया जाता हैं और नेगेटिव टर्मिनल पर पावर सोर्स का नेगेटिव टर्मिनल जोड़ दिया जाता हैं तो कैपेसिटर चार्ज होने लगता हैं और इसमें इलेक्ट्रिक चार्ज Store हो जाता हैं।
Q = CV
ऊपर दिया गया फार्मूला हर जगह सही तरह से काम नहीं करेगा क्योंकि किसी भी कैपेसिटर का Capacitance उसका कैपेसिटर में लगी हुई प्लेटों के ऊपर निर्भर करता हैं।
कैपेसिटर का कनेक्शन कैसे करते हैं
कैपेसिटर को सर्किट में दो तरह से लगाया जा सकता हैं।
- Series Connection
- Parallel Connection
1. Series Connection
जब दो या दो से अधिक कैपेसिटर को सीरीज में जोड़ा जाता हैं तो कैपेसिटर का पॉजिटिव टर्मिनल दूसरे कैपेसिटर के नेगेटिव टर्मिनल से और नेगेटिव टर्मिनल को उसके आगे वाले पॉजिटिव टर्मिनल से जोड़ा जाता हैं और बैटरी का पॉजिटिव कैपेसिटर के पॉजिटिव से ओर कैपेसिटर के नेगेटिव टर्मिनल को बैटरी के नेगेटिव से जोड़ा जाता हैं।
इस प्रकार के कनेक्शन को सीरीज कनेक्शन कहते हैं और सीरीज कनेक्शन में जुड़े हुए सभी कलेक्टर का चार्ज एक समान होता हैं। परंतु इनकी वोल्टेज अलग-अलग होती हैं नीचे आप कनेक्शन देख सकते हैं।
जैसा कि आपने देखा कैपेसिटर C₁, C₂, C₃ क्रम में लगाए गए हैं और इन तीनों कैपेसिटरो पर दी गई वोल्टेज V₁, V₂, V₃ होगी और इन क्रम में जुड़े कैपेसिटरो का चार्ज एक समान होगा।
जब कैपेसिटर सीरीज में लगे होते हैं तो उनका Capacitance निकालने का फार्मूला नीचे दिया गया हैं।
C = Q/V या V = Q/C
V = V₁ + V₂ + V₃
Q/C = Q/C₁ + Q/C₂ + Q/VE
1/C = 1/C₁ + 1/C₂ + 1/C₃
2. Parallel Connection
जब दो या दो से अधिक कैपेसिटर के टर्मिनलों को पैरेलल में जोड़ा जाता हैं तो सभी नेगेटिव टर्मिनल को नेगेटिव टर्मिनल से और सभी पॉजिटिव टर्मिनल को पॉजिटिव टर्मिनल से जोड़ते हैं तो यह सामानांतर जुड़ जाते हैं जिसे पैरलेल कनेक्शन कहते हैं। नीचे आप देख सकते हैं।
जब कैपेसिटर पैरेलल जुड़े होते हैं तो इनका कैपेसिटेंस आपस में जुड़ जाता हैं जिस का फार्मूला आपको नीचे दिखाया गया हैं।
C = C₁ + C₂ + C₃ +…….. + Cn
इन दोनों फार्मूला से आप किसी भी कैपेसिटर का Capacitance माप सकते हैं।
कैपेसिटर कैसे चेक करे
किसी भी कैपेसिटर को चेक करने के लिए सबसे पहले मल्टीमीटर ले फिर उसको डायोड मोड (Beep sound) पर सेट कर दे।
अब मल्टीमीटर की काली प्रोब को कैपेसिटर के नेगेटिव टर्मिनल से जोड़े और मल्टीमीटर की लाल प्रोब को कैपेसिटर के पॉजिटिव टर्मिनल से जोड़े अब आप मल्टीमीटर की डिस्प्ले पर देखे। यदि डिस्प्ले पर कुछ रेजिस्टेंस दिखता हैं तो आपका कैपेसिटर ठीक हैं।
Open condition
यदि आपको मल्टीमीटर की डिस्प्ले पर 1 Ω दिख रहा हैं तो इसका मतलब कैपेसिटर ओपन हैं
आप यदि Analog मल्टीमीटर से चेक कर रहे हैं तो मीटर की सुई आगे नही बढेगे मतलब उसमे कुछ भी बदलाव नहीं होता हैं तो कैपेसिटर ओपन होता हैं।
Shorting Condition
यदि आपका मल्टीमीटर 0 Ω दिखा रहा हैं और वीप साउंड लगातार बज रहा हैं तो इसका मतलब हैं कि आपका कैपेसिटर शॉट हैं
यदि आप Analog मल्टीमीटर से कैपेसिटर की continuity चेक कर रहे हैं तो मीटर की सुई Full Deflection Show करती हैं। मतलब मीटर की सुई बाये से दाई ओर शून्य पर आ जाती हैं तो कैपेसिटर Short हैं।
Note :– आपको अभी भी पता नहीं चल पा रहा हैं कि कैपेसिटर ठीक हैं या खराब तो आप जब कैपेसिटर के रेजिस्टेंस को मल्टीमीटर से चेक कर रहे हैं उसी समय मल्टीमीटर को DC वोल्टेज पर सेट करे और कैपेसिटर का वोल्टेज चेक करें।
यदि मल्टीमीटर में कुछ वोल्टेज आता हैं इसका मतलब कैपेसिटर ठीक हैं क्योंकि कैपेसिटर वोल्टेज को स्टोर करता हैं और यदि मल्टीमीटर में कोई भी वोल्टेज नही आता हैं इसका मतलब कैपेसिटर खराब हैं।
पर याद रखे ऐसा चेक तभी करना हैं जब कैपेसिटर किसी सर्किट में न लगा हो अगर कैपेसिटर किसी सर्किट में लगा होगा तो किसी और का वोल्टेज भी दिखाई दे सकता हैं।
कैपेसिटर के कार्य
- Electric Charge और Potential Difference के Ratio को Capacitance कहा जाता हैं।
- कैपेसिटर सक्षम होता हैं Energy को Store करने के लिए Electrostatic Field में जो की Generate होता हैं।
- Conductors के Across Potential Difference Create होने से इसलिए जब कोई Conductor के Across Voltage दिया जाता हैं।
- जब कैपेसिटर के एक प्लेट में Positive Charge कनेक्ट होता है और दुसरे प्लेट में Negative Charge कनेक्ट होता हैं तब कैपेसिटर काम करता हैं किसी एक Electric Field में एनर्जी को स्टोर करके Electrostatically करता हैं।
- Capacitance सबसे ज्यादा तब होती हैं जब Conductors के बीच स्तिथ दुरी सबसे कम होती हैं और Conductors का Surface सबसे ज्यादा होता हैं।
- Ideal Capacitors केवल Theory में ही होते हैं जिन्हें पूरी तरह से Capacitance से ही Describe किया जाता हैं लेकिन Real World में कुछ Limitations Exist करते हैं।
कैपेसिटर की विशेषताएँ
Simple Capacitor
कैपेसिटर के standard मान Pico-Farads(pF), Nano-Farads(nF) या Micro-Farads में मापे जाते हैं Capacitor का Capacitance किसी Circuit की Frequency के अनुसार अपनी Value को बदल सकता हैं।
Working voltage
कार्यशील वोल्टेज अधिकतम वोल्टेज होता हैं फिर वह AC हो या DC हो, जो कि इसकी संपूर्ण वर्किंग लाइफ को तोड़े बिना सर्किट पर लागू हो सकता हैं।
Tolerance (+ -%)
Capacitor की एक Tolerance Rating होती हैं जो कैपेसिटर के लिए Pico-Farads में पॉजिटिव या नेगेटिव value होती हैं, सबसे Common Tolerance Variation 5% या 10% हैं।
Leakage current
Dielectric Medium जिसे हम कैपेसिटर की प्लेटों को अलग करने के लिए उपयोग करते थे, उसमे करंट का leakage होता था इसलिए Dielectric Medium को सही नहीं कहा जा सकता। Current के इस Small Leakage को Leakage Current कहते हैं।
Working Temperature
Temperature में परिवर्तन Dielectric Properties में परिवर्तन की अनुमति देता हैं, Temperature में अंतर Capacitance को भी प्रभावित करता है। ज्यादातर कैपेसिटर के लिए Average Working Range -30C से +125C होती हैं।
Temperature Coefficient
Capacitor का Temperature Coefficient हमें किसी विशिष्ट तापमान के लिए Capacitance के मान में अधिकतम बदलाव के बारे में बताता है जो कि Million Degree Per Centigrade के रूप में होता है।
Polarization
Capacitor Polarization हमें Electrolytic प्रकार के Capacitors के बारे में बताता है, पर उनमें सही Polarity होनी चाहिए क्योंकि जैसा कि हम गलत Polarization को जानते हैं जो कि सर्किट को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
Equivalent Series Resistance
यह Capacitor की AC Impedance होती हैं। यह हमें कैपेसिटर के Equivalent Series Resistance के Energy Loss के बारे में बताता है।
कैपेसिटर का उपयोग
कैपेसिटर का उपयोग बहुत से सर्किट में किया जाता हैं
- कैपेसिटर का उपयोग Energy को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं।
- कैपेसिटर में Energy Storage का उपयोग Dynamic Digital Memories के निर्माण के लिए किया जाता हैं।
- Reservoir Capacitors का उपयोग बिजली की आपूर्ति में किया जाता हैं।
- कैपेसिटर का उपयोग Power Factor Correction के लिए भी किया जाता हैं।
कैपेसिटर का उपयोग AC और DC Components को अलग करने के लिए किया जाता हैं क्योंकि कैपेसिटर AC को पास करते हैं और DC को Block करते हैं। - कैपेसिटर का उपयोग घर के फैन में भी किया जाता हैं। जिसको हम कंडेंसर कहते हैं।
- कैपेसिटर का उपयोग कई स्पंदित बिजली जैसे Lasers, Radar, Pulse बनाने वाले Network के लिए भी किया जाता हैं।
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उम्मीद हैं दोस्तों अब आपको समझ आ गया होगा की कैपेसिटर क्या होता हैं और कैसे काम करता हैं। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी जानकारी चाहते हैं तो आप नीचे Comment करके हमसे पूछ सकते हैं।